50 हज़ार के इनामी माओवादी खीम सिंह को बरेली से पकड़े जाने के बाद कुमाऊं पुलिस भी सक्रिय हो गई है. खीम सिंह की नैनीताल में सक्रियता को भी पुलिस खंगाल रही है. उत्तराखंड पुलिस की एक टीम खीम सिंह से पूछताछ करने के लिए लखनऊ पहुंच भी गई है. इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह ने खीम सिंह के माओवादी होने पर ही सवाल उठा दिए हैं और कहा है कि वह लिखने-पढ़ने वाले ऊर्जावान नौजवान हुआ करते थे.
‘रिमांड की कोशिश करेगी पुलिस’
बरेली से माओवादी खीम सिंह की गिरफ्तारी के बाद कुमाऊं में पुलिस अलर्ट पर है. खीम सिंह (बिष्ट) अल्मोड़ा के हैं. कुमाऊं के डीआईजी जगत राम जोशी ने बताया कि खीम सिंह से पूछताछ के लिए उत्तराखंड पुलिस की एक टीम लखनऊ रवाना कर दी है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस की टीम खीम सिंह से पूछताछ करेगी और कोशिश होगी कि उत्तराखंड में दर्ज मामलों के बेस पर उसकी रिमांड ली जा सके.
इसके विपरीत नैनीताल समाचार के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार और राज्य आन्दोलनकारी राजीव लोचन शाह ने पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि खीम सिंह को माओवादी क्यों माना गया, यह उन्हें समझ नहीं आता. उन्होंने कहा कि पुलिस सिर्फ केन्द्र से मिलने वाले पैसे के लिए आन्दोलनों से जुड़े लोगों को माओवादी घोषित कर देती है.
‘माओवाद पर मत स्पष्ट नहीं’
शाह ने कहा कि उन्होंने आरटीआई में माओवाद के साहित्य और माओवादी संगठनों की लिस्ट मांगी थी लेकिन उनको कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस के एक डीजीपी ने तो एक बार उनको भी माओवादी करार दे दिया था.