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उत्तराखंड में झूमकर पहुंचा मानसून, 19 सालों का रिकॉर्ड टूटा, 48 घंटों में भारी बारिश का अलर्ट

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देहरादून I दक्षिण-पश्चिम मानसून सोमवार को उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में पहुंच गया। अगले 48 घंटों के दौरान इसके प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में पहुंचने का अनुमान है। वहीं, मानसून के चलते राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। 

दक्षिण पश्चिम मानसून के सक्रिय होते ही बारिश ने हल्द्वानी में एक ही दिन में 19 वर्षों पुराना रिकार्ड तोड़ दिया। हल्द्वानी में साढ़े आठ घंटों में ही 180 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। वहीं, अधिकतम तापमान ने भी नया रिकॉर्ड बनाया है। 11 वर्षों बाद अधिकतम तापमान 24 जून को सबसे कम 26.4 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से नौ डिग्री सेल्सियस कम रहा जबकि न्यूनतम तापमान 24.5 डिग्री सेल्सियस रहा।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश हैं। सोमवार को मानसून ने कुमाऊं के मुक्तेश्वर क्षेत्र में दस्तक दी। इसके बाद मानसून तेजी से आगे बढ़ रहा है। 

मौसम केंद्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार प्रदेश में परिस्थितियां अनुकूल होने के चलते अगले 48 घंटों में मानसून ज्यादातर हिस्सों में पहुंच सकता है। इसके चलते ऊधमसिंह नगर, नैनीताल और चंपावत के कुछ इलाकों में बहुत भारी बारिश हो सकती है। वहीं, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और देहरादून में भारी से बहुत भारी बारिश होने का अनुमान है। 

सर्तकता बरतें जिलाधिकारी
भारी बारिश के अलर्ट को देखते हुए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने सभी जिलाधिकारियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान लोनिवि, एनएच, पीएमजीएसवआई, बीआरओ, सीपीडब्ल्यूडी अधिकारियों को मोटर मार्ग खोलने के लिए तैयारी रखने, थाने-चौकियों को वारयरलैस समेत आपदा प्रबंधन के उपकरणों समेत तैयार रहने और किसी भी अधिकारी को मोबाइल फोन स्विच ऑफ न रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही असामान्य मौसम या ज्यादा बारिश होने पर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही रोकने के निर्देश जारी किए गए हैं। 

नदियों-जलाशयों का जलस्तर भी बढ़ा

चंपावत में बनबसा बैराज कंट्रोल रूम के रिकॉर्ड के अनुसार रविवार को दिन में 12 बजे बैराज का जलस्तर सर्वाधिक 26 हजार 774 क्यूसेक था। हालांकि शाम तीन बजे यह घटकर फिर 16 हजार 484 क्यूसेक रह गया। शारदा में जल स्तर बढ़ने से एनएचपीसी और लोहियाहेड पावर हाउस में बिजली का उत्पादन भी बढ़ गया है। धारचूला में काली नदी का जलस्तर 887.90 मीटर, जौलजीबी में गोरी नदी का जलस्तर 603.80 मीटर और मदकोट में गोरी नदी का जलस्तर 1211.10 मीटर  रिकॉर्ड किया गया।

रविवार शाम से शुरू हुई रिमझिम बारिश से जहां मैदानी इलाकों में लोगों को गर्मी से राहत मिली, वहीं पहाड़ और जलभराव वाले इलाकों में लोगों को परेशानियों से दो चार भी होना पड़ा। बिजली गिरने से सितारगंज के नगला गांव की पूर्व ग्राम प्रधान के पति पृथ्वीपाल सिंह (35) की मौत हो गई। उधर, नाचनी में रामगंगा पर बनाए गए लकड़ी के अस्थायी पुल का एक हिस्सा बह गया है। पुल बहने से बागेश्वर जिले के भकोना, केंचुवा, कालापैर, खेती समेत कई गांवों का संपर्क कट गया है।

इन गांवों के कई पढ़ने के लिए नाचनी आते हैं। अब बच्चों को 6 किमी की अतिरिक्त दूरी तय कर फल्याटी गांव से होते हुए नाचनी आना पड़ेगा। बारिश और आंधी के कारण रविवार रात अल्मोड़ा जिले में गोविंदपुर दौलाघट में दोमंजिले मकान की टिन की छत उड़ गई।

‘बिजली’ ने गुल की बिजली

डंगोली (गरुड़) में बिजली घर पर बिजली गिरने से एक लाख के उपकरण फुंक गए। इससे  कारण चार दर्जन से अधिक गांवों में पांच घंटे बिजली गुल रही। वहीं, आंधी के चलते रनमन (अल्मोड़ा) में लाइन में खराबी आने से सोमेश्वर घाटी के 60 गांवों में नौ घंटे और अल्मोड़ा शहर में मालरोड समेत कई मोहल्लों में करीब छह घंटे बिजली बाधित रही। 

किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाई झमाझम बारिश
इस बारिश ने काश्तकारों के चेहरे पर मुस्कान लौटा दी है। सबसे बड़ी राहत धान की रोपाई वाले क्षेत्रों के किसानों को मिली है। काश्तकारों का मानना है कि कद्दू, लौकी के अलावा धान, मडुवा, झिंगोरा के लिए बारिश काफी फायदेमंद है। 

बारिश आंधी से नुकसान
बारिश आंधी से काफी नुकसान हुआ है। अल्मोड़ा जिले में गोविंदपुर दौलाघट में पेयजल की चार लाइनों को नुकसान हुआ है। अल्मोड़ा-कोसी मार्ग पर स्यालीधार के पास चीड़ का पेड़ गिरने से जाम लग गया। पेड़ के साथ बिजली का तार भी टूटकर नीचे गिर गया।
 
टनकपुर से मिली जानकारी के मुताबिक निर्माणाधीन टनकपुर-जौलजीबी मार्ग पर बारिश से लगातार मलबा गिर रहा है। रविवार शाम करीब चार बजे अंग्रेज चट्टान के पास मलबा आने से मार्ग करीब एक घंटे तक बंद रहा। सोमवार की सुबह फिर मलबा आने से एक घंटे तक आवागमन बंद रहा।

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