
रिपोर्ट –मुकेश रावत
थत्यूड़ मुख्य बाजार का लाखों रुपए की लागत से बना सार्वजनिक सुलभ शौचालय आज बदहाली की मिसाल बन चुका है। हालत यह है कि दरवाजे टूटे पड़े हैं, चटकनी नदारद है, पानी की एक बूँद तक नसीब नहीं होती और अंदर घुसते ही नाक पर रूमाल रखना पड़ता है।
2012-13 में पर्यटन विभाग ने करीब 25 लाख रुपये खर्च कर इस शौचालय का निर्माण कराया था, ताकि बाजार आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को सुविधा मिल सके। लेकिन अब यह शौचालय सुविधा कम और परेशानी ज्यादा दे रहा है।
दुकानदार और राहगीर परेशान
गंदगी और बदबू के कारण आसपास के दुकानदारों का जीना मुहाल हो गया है। राहगीर शौचालय के पास से गुजरने से कतराने लगे हैं।
व्यापार मंडल की दो टूक
व्यापार मंडल अध्यक्ष अकबीर पंवार, विक्रम चौहान, कुलबीर रावत और जगत असवाल ने साफ कहा है—
सरकार और प्रशासन अगर तुरंत स्थायी सफाई कर्मचारी नियुक्त नहीं करता, पानी की सप्लाई नहीं बहाल करता और टूटे दरवाजे दुरुस्त नहीं करता तो हालात और बिगड़ेंगे।
प्रभारी का दावा
सुलभ शौचालय प्रभारी बी.के. पांडे का कहना है कि—
अगले 4-5 दिन में मरम्मत का काम शुरू होगा और सफाई व्यवस्था पटरी पर ला दी जाएगी।
सवाल उठता है…
👉 25 लाख रुपये खर्च होने के बाद भी हालात इतने बदतर क्यों?
👉 सालों से सफाई कर्मचारी क्यों नियुक्त नहीं हुए?
👉 रखरखाव के नाम पर सिर्फ आश्वासन कब तक मिलेगा?