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धनोल्टी में बड़ी पहल! ‘अर्थ गंगा’ के तहत इको-टूरिज्म से सैकड़ों लोगों को मिलेगा रोजगार, विशेषज्ञों की अहम कार्यशाला आयोजित

  • पर्यावरण संरक्षण और इको-टूरिज्म से स्थानीय आर्थिकी को सशक्त करने की योजना, विशेषज्ञों और स्थानीय समुदायों की भागीदारी

रिपोर्ट- मुकेश रावत 

धनोल्टी, टिहरी। धनोल्टी क्षेत्र में पारिस्थितिकी और ईको-टूरिज्म के विकास के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन जलज परियोजना के तहत एनएमसीजी (राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन) और डब्ल्यूआईआई (भारतीय वन्यजीव संस्थान) के संयुक्त प्रयास से हुआ। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य नदी और स्थानीय समुदायों के बीच बेहतर संबंध स्थापित करना और प्रधानमंत्री के ‘अर्थ गंगा’ के विजन को साकार करना था।

कार्यशाला में विशेषज्ञों और अधिकारियों की भागीदारी
मसूरी के अधिकारियों, वन विभाग के विशेषज्ञों और स्थानीय स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। इस आयोजन का प्रमुख लक्ष्य इको-टूरिज्म की संभावनाओं को सामने लाना था, ताकि स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर और सतत उपयोग हो सके। इसके साथ ही, पर्यटकों के लिए नए आकर्षण विकसित करने पर भी चर्चा की गई।

नदी संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर
कार्यशाला में नदी संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय समुदायों को इको-टूरिज्म से आर्थिक लाभ पहुंचाने के उपायों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने यह बताया कि कैसे सतत विकास के सिद्धांतों के माध्यम से इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित किया जा सकता है, और साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं।

अर्थ गंगा’ की अवधारणा की ओर महत्वपूर्ण कदम
जलज परियोजना के माध्यम से ‘अर्थ गंगा’ की अवधारणा को साकार करने के लिए यह कार्यशाला एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई। इस परियोजना के तहत नदी से जुड़े स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि क्षेत्र के लोगों को आर्थिक लाभ मिले। इसके साथ ही, स्थानीय समुदायों को पर्यावरण के प्रति जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में कदम उठाए गए।

विशेषज्ञों की राय और सरकार की योजनाएं
अंजना शर्मा, सीनियर प्रोजेक्ट असिस्टेंट, ने जलज परियोजना की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और इस पहल की महत्ता को समझाया। प्रोजेक्ट वैज्ञानिक सौरव गवन ने प्रस्तुति के माध्यम से जलज परियोजना के उद्देश्यों और इसके तहत किए जा रहे कार्यों को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि कैसे 2017 से चल रही इस पहल को अब और सुदृढ़ किया जा रहा है, ताकि स्थानीय समुदायों, विशेषकर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा सके।

अपर सचिव वन, यमुना वृत की वन संरक्षक कहकशां नसीम ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलज परियोजना के माध्यम से ग्रामीणों के उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में सहायता दी जाएगी, जिससे उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके। उन्होंने शासन और विभागीय स्तर पर हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया।

ईको-टूरिज्म से रोजगार के अवसर
इस पहल से न केवल क्षेत्र की प्राकृतिक संपदाओं का संरक्षण होगा, बल्कि इको-टूरिज्म के माध्यम से स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। कार्यशाला में यह भी बताया गया कि कैसे सतत विकास के उपाय अपनाकर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है।

कार्यशाला में शामिल प्रमुख लोग
कार्यशाला में डीएफओ मसूरी अमित तंवर, उप प्रभागीय वनाधिकारी दिनेश चंद्र नौडियाल, सचिव ईको पार्क मनोज उनियाल, लाखीराम आर्य, लतिका उनियाल और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। इसके अलावा भटौली, द्वारिकापुरी, पंतवाड़ी और बिच्छू गांवों के स्वयं सहायता समूहों के सदस्य भी इस मौके पर मौजूद थे।

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