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उत्तराखंड में सीएम धामी की ऐतिहासिक पहल: समान नागरिक संहिता लागू, जानिए क्या बदलेगा

  • मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित समारोह में अधिसूचना का अनावरण और पोर्टल का शुभारंभ

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की ऐतिहासिक घोषणा की। सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित समारोह में यूसीसी की अधिसूचना का अनावरण किया गया। साथ ही, यूसीसी पोर्टल (ucc.uk.gov.in) का शुभारंभ और यूसीसी नियमावली बुकलेट का विमोचन किया गया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सबसे पहले अपने विवाह का पंजीकरण कर प्रमाणपत्र प्राप्त किया। इसके बाद यूसीसी के तहत पहले पांच पंजीकरणकर्ताओं को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक फैसले को संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि बताया।


यूसीसी लागू करने का संकल्प हुआ पूरा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि 12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। उन्होंने कहा, “तब कई लोगों को विश्वास नहीं था, लेकिन आज यह वादा पूरा हो गया है। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद पहला निर्णय यूसीसी लागू करने का लिया था।”

उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ समिति ने इस ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए 2.35 लाख लोगों से सुझाव लिए। सीएम ने भावुक होकर कहा, “आज मैं उत्तराखंडवासियों के सामने गर्व के साथ यह घोषणा कर रहा हूं कि राज्य में समान नागरिक संहिता पूरी तरह से लागू हो गई है।”


महिलाओं को मिलेगा समान अधिकार

सीएम धामी ने बताया कि यूसीसी के तहत जाति, धर्म और लिंग के आधार पर कानूनी भेदभाव समाप्त होगा। महिलाओं को समान अधिकार सुनिश्चित होंगे।
उन्होंने कहा कि हलाला, तीन तलाक, इद्दत जैसी कुप्रथाओं पर रोक लगेगी। अनुसूचित जनजातियों को उनके रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिए यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है।

मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि पहले छह महीने तक पंजीकरण शुल्क माफ रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूसीसी किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह समाज में समानता स्थापित करने का प्रयास है।


सभी को मिलेगा संपत्ति में समान अधिकार

यूसीसी के तहत विवाह, विवाह विच्छेद और उत्तराधिकार के नियमों को समान किया गया है। सभी धर्मों के लोग अपने रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह कर सकते हैं, लेकिन लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों की 18 वर्ष तय की गई है।
साथ ही, पति या पत्नी के रहते दूसरे विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। बेटियों और बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। मृतक की संपत्ति में पत्नी, माता-पिता और बच्चों को समान हिस्सा मिलेगा।


लिव-इन संबंधों का भी होगा पंजीकरण

मुख्यमंत्री ने बताया कि लिव-इन संबंधों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके तहत युगल की जानकारी उनके माता-पिता या अभिभावकों को दी जाएगी, जो गोपनीय रखी जाएगी। लिव-इन से जन्मे बच्चों को भी समान अधिकार दिया गया है।

उन्होंने कहा कि यूसीसी पोर्टल पर पंजीकरण की ऑनलाइन सुविधा दी गई है, जिससे किसी को भी दिक्कत का सामना न करना पड़े।


अब हर साल मनाया जाएगा यूसीसी दिवस

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि 27 जनवरी को हर वर्ष यूसीसी दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा, “धारा 370, तीन तलाक और राम मंदिर जैसे वादों की तरह ही यह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा हुआ है।”

इस मौके पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, सौरभ बहुगुणा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी समेत कई गणमान्य उपस्थित थे।

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