- कैम्पटी पुलिस ने गोवर्धन पूजा पर पशु सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाया
- गोवर्धन पूजा पर कैम्पटी में पुलिस ने ग्रामीणों को बताया पशु रक्षा का महत्व
रिपोर्ट– मुकेश रावत
कैम्पटी। गोवर्धन पूजा के अवसर पर थाना कैम्पटी पुलिस ने थाना क्षेत्र में पशु सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया। इस दौरान नैनबाग और कैम्पटी बाजार में पुलिस ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए उपयोग के बाद आवारा छोड़े गए पशुओं की देखभाल और उन्हें गौशाला तक पहुंचाने के महत्व पर जोर दिया। पुलिस ने पशु क्रूरता रोकने और समाज में जिम्मेदार पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों को विशेष जानकारी दी।
अभियान के तहत पुलिस ने ग्रामीणों को बताया कि कतिपय लोग अपने पशुओं का संपूर्ण जीवनकाल उपयोग करने के बाद उन्हें सुनसान क्षेत्रों, बाजारों या सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। इसके चलते इन पशुओं को ठंड और भूख का सामना करना पड़ता है, वहीं ये सड़कों पर आने-जाने वाले वाहनों के लिए भी खतरा बन जाते हैं। चारधाम यात्रा मार्ग होने के कारण इस इलाके में वाहनों की आवाजाही अधिक रहती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
पुलिस ने ग्रामीणों को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यदि भविष्य में कोई व्यक्ति अपने पशुओं को इस प्रकार आवारा छोड़ता पाया गया, तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, पुलिस ने व्यापार मंडल के पदाधिकारियों और समाजसेवियों से मिलकर बाजार में घूम रहे आवारा पशुओं को गौशाला तक सुरक्षित पहुंचाने की अपील की, ताकि इन बेजुबान जानवरों को ठंड और चारे की कमी का सामना न करना पड़े।
थाना अध्यक्ष विनोद कुमार का बयान
थाना अध्यक्ष विनोद कुमार ने इस अभियान पर अपनी बात रखते हुए कहा, “हमारे इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीणों को अपने पशुओं के प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाना है। अक्सर देखा गया है कि लोग अपने पशुओं का जीवनभर उपयोग करते हैं, लेकिन अंत में उन्हें लावारिस छोड़ देते हैं। इससे न केवल पशुओं का जीवन संकट में पड़ता है, बल्कि सड़कों पर दुर्घटनाओं का भी खतरा बढ़ता है। खासकर इस चारधाम यात्रा मार्ग पर, आवारा पशुओं की मौजूदगी से गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हम सभी ग्रामीणों और व्यापारियों से अपील करते हैं कि वे अपने पशुओं को आवारा न छोड़ें और उन्हें निकटतम गौशाला में भेजने में सहयोग करें। यदि कोई भी व्यक्ति पशुओं के प्रति इस प्रकार का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करता पाया गया, तो उस पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान हमारी संस्कृति और मानवता के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है।