रिपोर्ट– मुकेश रावत
थत्यूड़। जौनपुर विकासखंड मुख्यालय थत्यूड़ में वेदर मशीन (तापमान यंत्र) की कमी काश्तकारों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। क्षेत्र के किसान पिछले लंबे समय से इस मशीन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इसके स्थापित न होने के कारण उन्हें फसल बीमा का उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र के काश्तकारों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि नैनबाग तहसील के किसानों को मुआवजा मिल रहा है, जबकि थत्यूड़ क्षेत्र के किसान इससे वंचित हैं।
किसानों की शिकायतें
किसान राय सिंह, जगत सिंह, जय राम, विजेंद्र दत्त, देवेंद्र सिंह, जीवनानंद, भरतमणी, चेतन प्रसाद चमोली, विशंभर सिंह, चंद्र सिंह और सूरज बिष्ट ने बताया कि फसल बीमा का मुआवजा नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है। उनका कहना है कि वेदर मशीन की अनुपस्थिति के कारण, फसल नुकसान के सही आकलन में समस्या आ रही है, जिसके चलते उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा।
प्रशासन का आश्वासन: कब तक रहेगा इंतजार?
जिला उद्यान अधिकारी चंदन सिंह बिष्ट ने कहा कि वेदर मशीन स्थापित करने की स्वीकृति मिल गई है और मौसम विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं। जल्द ही ब्लॉक मुख्यालय थत्यूड़ में तापमान यंत्र लगाकर किसानों की यह गंभीर समस्या हल की जाएगी।
वहीं, क्षेत्रीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने भी पुष्टि करते हुए कहा कि वेदर मशीन की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है और संबंधित एजेंसियों को पत्राचार किया गया है। विधायक ने किसानों को आश्वासन दिया कि जल्द ही ब्लॉक मुख्यालय में वेदर मशीन लगा दी जाएगी, जिससे क्षेत्र के काश्तकारों को उनकी फसल बीमा का उचित मुआवजा मिल सकेगा।
लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें आश्वासनों से नहीं, ठोस कार्रवाई से मतलब है। उनका कहना है कि वर्षों से वे इसी तरह की बातों का सामना कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वेदर मशीन की स्थापना न होने के कारण उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है।
क्षेत्र के किसानों ने कहा कि अगर शीघ्र वेदर मशीन स्थापित नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। काश्तकारों का कहना है कि अब वे और इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि हर सीजन में उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं और मुआवजा राशि से वंचित रहना उनकी आर्थिक स्थिति को बद से बदतर बना रहा है।
काश्तकारों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से अपील की है कि वे इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लें और वेदर मशीन की स्थापना का कार्य तुरंत शुरू करें। उनका कहना है कि यदि यह सुविधा तुरंत उपलब्ध नहीं कराई गई, तो किसान आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे।