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बिथ्याणी महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी: हिंदी के वैश्वीकरण पर विचार-विमर्श

बिथ्याणी (यमकेश्वर), 24 अक्टूबर 2024: महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी और विश्व संवाद केंद्र उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में “हिंदी भाषा का वैश्वीकरण” विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश-विदेश से कई विद्वानों ने हिंदी भाषा के उत्थान और इसके वैश्विक प्रसार पर अपने विचार साझा किए।

प्रमुख वक्ताओं में प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ ने कहा कि हिंदी का विकास वैश्विक स्तर पर निरंतर हो रहा है, लेकिन इसे विश्व की प्रमुख भाषा बनाने के लिए हमें अपनी राष्ट्रभाषा के प्रति प्रेम दिखाना होगा।

ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी ने बताया** कि ऑस्ट्रेलिया में छह विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है और ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी तैयार किए गए हैं। अमेरिका से सुनीता वर्मा ने बताया कि वहां 5 वर्ष से ऊपर के बच्चों को हिंदी सिखाने के लिए विशेष कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। न्यूज़ीलैंड की सुनीता नारायण ने हिंदी के लिए बोली और लिखने पर जोर दिया।

इस सत्र का संचालन डॉ. उमेश त्यागी ने किया और सभापति प्रोफेसर गीता सिंह, निदेशक, सीपीडीएचई, दिल्ली विश्वविद्यालय रहीं।

चतुर्थ सत्र में लंदन से आईं डॉ. इंदु बारोठ ने बताया कि विदेशों में हिंदी पढ़ना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं। फिजी से प्रवीण लता ने फिजी के हिंदी साहित्य के महत्व पर प्रकाश डाला** और बताया कि यह गिरमिटिया समाज की समस्याओं को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि तपन कुमार (सह-क्षेत्र प्रचार प्रमुख, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश) ने हिंदी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर वी.एन. खाली (प्राचार्य, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कर्णप्रयाग) ने हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने की आवश्यकता बताई।

प्राचार्य प्रो. योगेश शर्मा ने संगोष्ठी के सफल आयोजन पर आयोजन समिति के सभी सदस्यों और वक्ताओं का धन्यवाद किया।

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