डी.आई.टी. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल का युवाओं को मंत्र
राष्ट्र-निर्माण, उद्यमिता और नशामुक्त समाज की दिशा में आगे बढ़ने का किया आह्वान

देहरादून, 13 दिसंबर। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने शनिवार को डी.आई.टी. विश्वविद्यालय, देहरादून के नवम् दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि डिग्री केवल शैक्षणिक उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्र, समाज और मानवता के प्रति दायित्व निभाने की नई शुरुआत है।
शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण और सामाजिक संवेदनशीलता
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि चरित्र निर्माण, विचारों में दृढ़ता और व्यवहार में संवेदनशीलता का विकास भी उतना ही आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि वर्षों के अनुशासन, परिश्रम और मार्गदर्शन का परिणाम आज इस उपलब्धि के रूप में सामने आया है।
तकनीक और नवाचार के युग में सतत सीखना जरूरी
उन्होंने कहा कि वर्तमान युग तकनीक, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का है, जहां ज्ञान और कौशल तेजी से बदल रहे हैं। जो युवा इन परिवर्तनों को समझते हुए निरंतर सीखने के लिए तैयार रहते हैं, वही भविष्य का नेतृत्व करते हैं। राज्यपाल ने डी.आई.टी. विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान ने इंजीनियरिंग, फार्मेसी, आर्किटेक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन, स्वास्थ्य सेवाओं, फोरेंसिक साइंस और पर्यावरण विज्ञान जैसे आधुनिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
सफलता का पैमाना समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान
युवाओं को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि सफलता को केवल पद, वेतन या प्रतिष्ठा से नहीं मापा जाना चाहिए, बल्कि इस बात से आंका जाना चाहिए कि व्यक्ति अपने ज्ञान और क्षमता का उपयोग समाज और राष्ट्र के हित में किस प्रकार करता है। उन्होंने छात्राओं की विशेष रूप से प्रशंसा करते हुए कहा कि आज भारत की बेटियां हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं और विकसित भारत के निर्माण में उनकी भूमिका निर्णायक होगी।
नशा युवाओं के भविष्य का सबसे बड़ा शत्रु
नशे के विषय पर कड़े शब्दों में संदेश देते हुए राज्यपाल ने कहा कि नशा युवाओं की ऊर्जा, स्वास्थ्य और भविष्य को नष्ट कर देता है। उन्होंने युवाओं से नशे से दूर रहने, स्वस्थ शरीर और सशक्त विचारों के साथ आगे बढ़ने तथा “नशामुक्त उत्तराखंड” अभियान के संवाहक बनने का आह्वान किया।
उद्यमिता से ही बनेगा आत्मनिर्भर और विकसित भारत
राज्यपाल ने राष्ट्र सर्वोपरि का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि पहले देश और समाज, फिर स्वयं—यही सच्चा राष्ट्रधर्म है। उन्होंने उद्यमिता को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि युवाओं को नौकरी तलाशने के साथ-साथ रोजगार सृजनकर्ता भी बनना चाहिए, जिससे उत्तराखंड विकसित भारत का मजबूत हिस्सा बन सके।
ए.आई. से शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासन को नई दिशा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संदर्भ में राज्यपाल ने कहा कि ए.आई. आज शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, प्रशासन और उद्योग सहित प्रत्येक क्षेत्र को नई दिशा दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत मानव-केंद्रित, नैतिक और पारदर्शी ए.आई. के विकास पर बल दे रहा है। उन्होंने बताया कि “भारत ए.आई. मिशन” के तहत 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश देश की डिजिटल क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
युवा ही आत्मनिर्भर और विश्वगुरु भारत के पथ-प्रदर्शक
अपने संबोधन के समापन पर राज्यपाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत और विश्वगुरु भारत के निर्माण में आज के युवा पथ-प्रदर्शक हैं। उन्होंने सभी उपाधि धारकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें निरंतर सीखते रहने, जिम्मेदार नागरिक बनने और मानवता की सेवा के लिए समर्पित रहने का आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल, प्रधान सलाहकार एन. रविशंकर, कुलपति प्रो. रघुरामा सहित अनेक शिक्षक, अभिभावक एवं अधिकारीगण उपस्थित रहे।



