
रिपोर्ट –मुकेश रावत
थत्यूड़ (टिहरी)। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर पंचम दिवस को ग्राम छनांण स्थित माँ राजराजेश्वरी गौरजा देवी सिद्ध पीठ में भव्य धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। श्रद्धा और भक्ति के इस महोत्सव में भक्तों ने माँ भगवती के चरणों में नतमस्तक होकर पूजा-अर्चना की तथा संगीतमय भजन-कीर्तन से पूरा वातावरण भक्तिरस में डूब गया।
माँ नवदुर्गा भजन-कीर्तन मंडली द्वारा प्रस्तुत किए गए भजनों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद से भर दिया। सिद्ध पीठ के मुख्य पुजारी जसवीर रावत, पुजारी हरिओम रावत और विकास रावत ने विधिवत पूजा-अर्चना संपन्न कराई।
—-माँ गौरजा देवी के दिव्य प्राकट्य का ऐतिहासिक महत्व—-
कार्यक्रम के दौरान पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य रविंद्र रावत ने माँ राजराजेश्वरी गौरजा देवी सिद्ध पीठ के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 18वीं सदी में माँ काली ने ग्राम पंचायत छनांण के रौतु थात क्षेत्र में विराट स्वरूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे। इसके पश्चात माँ भगवती ने अगलाड नदी पार कर छलांग लगाई, जिससे यह स्थल ‘चौंरकाली’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, माँ भगवती वृद्ध महिला के वेश में ‘चौंरकाली’ से छनांण गाँव के पश्चिम में स्थित ‘बला देवी थात’ पहुँचीं, जहाँ उन्होंने आशा इन्द्राणी रौत को अपना आजीवन पुजारी होने का आशीर्वाद दिया। तभी से इस स्थान पर चैत्र और आश्विन नवरात्रि में पूजा-अर्चना की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से माँ राजराजेश्वरी गौरजा देवी की उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
—–भक्तों की उमड़ी भीड़, श्रद्धा और उल्लास का माहौल——-
इस भव्य आयोजन में मंदिर समिति के अध्यक्ष गोविंद रावत, पूर्व अध्यक्ष रणवीर रावत, पूर्व प्रधान बीर सिंह रावत, फकीर चंद रावत, हुकम सिंह रावत, दीपचंद रावत, महावीर रावत, भीम रावत, सुभाष रावत, उपेंद्र रावत, सतेन्द्र रावत, रघुवीर रावत, कुलदीप रौंछला सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और क्षेत्र के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। महिलाओं ने विशेष रूप से इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया और माँ भगवती के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
पूरे अनुष्ठान के दौरान श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अनुपम संगम देखने को मिला, जिससे भक्तों ने दिव्य अनुभूति प्राप्त की।