देहरादून

1960 से पूरे देश में नहीं हुआ भूमि बंदोबस्त, अब उत्तराखंड सरकार करने जा रही पहल

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देहरादून I उत्तराखंड राज्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण भूमि बंदोबस्त के सवाल पर सरकार विचार करेगी। सरकार ने माना है कि भूमि बंदोबस्त न होने के कारण किसी क्षेत्र विशेष नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

हालांकि इसके लिए बडे़ पैमाने स्टाफ की जरूरत होगी। इन व्यवहारिक दिक्कतों से भी सरकार वाकिफ है। इसके बावजूद, सरकार ने संकेत दिए हैं कि इस अहम मसले पर विचार किया जाएगा।

दरअसल, उत्तराखंड राज्य निर्माण के  बाद भी भूमि बंदोबस्त के मामले को हर सरकार ने बेहद जरूरी माना है, लेकिन इस पर पहल नहीं हो पाई है। उत्तराखंड में ज्यादातर जमीन गोल खातों में कैद है।

प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में जंगल होने के कारण योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जमीन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में जमीन की असल स्थिति का पता लगाने के लिए भूमि का बंदोबस्त पहली शर्त है, हालांकि यह काम इतना बड़ा है कि सरकार जरूरत महसूस करते हुए भी इस पर हाथ डालने से बचती है। 

नाला कब्जा कर निकासी बाधित करने पर सरकार सख्त

सीएम आवास पर जनता मिलन कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को यह सवाल उठा। भानियावाला में जमीनों को खुर्दबुर्द होने की चर्चा करते हुए इसके लिए भूमि बंदोबस्त न होने को सबसे बड़ा कारण बताया गया।

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भूमि बंदोबस्त की आवश्यकता पर सहमति जताई। यह तथ्य भी जोड़ा कि पूरे देश में ही 1960 के बाद भूमि बंदोबस्त नहीं हुआ है। उन्होंने बाद में मीडिया से बातचीत में भी कहा कि सरकार भूमि के बंदोबस्त पर विचार करेगी।

बरसात की चुनौतियों के बीच सरकार ने नाला कब्जा कर निकासी बाधित करने वालों पर सख्त रुख जाहिर किया है। जनता मिलन कार्यक्रम में मंगलवार को ऐसी कई शिकायतें आईं, जहां पर नाला कब्जा कर लिए जाने के कारण निकासी चोक हो गई है। इस वजह से रिहायशी क्षेत्रों में दिक्कतें पैदा हो रही हैं।

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अफसरों को निर्देश दिए कि इस संबंध में सख्ती से कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने यह भी कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए जाने वाली सरकारी टीम के साथ हाथापाई भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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