मुख्यमंत्री धामी का भ्रष्टाचार पर प्रहार: हरिद्वार भूमि घोटाले में 10 अफसर सस्पेंड, विजिलेंस जांच के आदेश

🔹 विक्रय पत्र निरस्त, धनवसूली के निर्देश, पूर्व नगर आयुक्त के कार्यकाल की होगी विशेष ऑडिट
🔹 जीरो टॉलरेंस की नीति पर सरकार सख्त, दो अधिकारियों का सेवा विस्तार समाप्त
🏛 हरिद्वार भूमि घोटाला: सीएम धामी का एक्शन मोड
हरिद्वार नगर निगम में सामने आए बहुचर्चित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए दोषियों पर बड़ी कार्रवाई की है। घोटाले में संलिप्त पाए गए 10 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि दो अधिकारियों का सेवा विस्तार रद्द कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी।
🔎 विजिलेंस जांच से होगा पूरे नेटवर्क का खुलासा
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए हैं कि पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग (Vigilance) से कराई जाए ताकि इस घोटाले में संलिप्त सभी व्यक्तियों की भूमिका स्पष्ट हो सके। जांच की पारदर्शिता बनाए रखने और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
📄 विक्रय पत्र रद्द, रिकवरी के निर्देश
भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र (Sale Deed) को निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही, संबंधित भू-स्वामियों को जो भी सरकारी धन दिया गया है, उसकी रिकवरी के लिए सख्त आदेश जारी किए गए हैं। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि राज्य की संपत्ति का दुरुपयोग करने वालों को बख्शा न जाए।
🧾 पूर्व नगर आयुक्त के कार्यकाल की होगी ऑडिट जांच
मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों की विशेष ऑडिट जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य वित्तीय अनियमितताओं की तह तक जाकर दोषियों को चिन्हित करना है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।