- राजेश भंडारी अपने बगीचे में उगा रहे सेब की उन्नत प्रजाति के फल
- उद्यान विभाग के सहयोग से डबराल गांव के राजेश ने अपनाई है स्वरोजगार की राह
थत्यूड़। जौनपुर ब्लॉक के राजेश भंडारी ने डबराल गांव में सेब का बगीचा तैयार कर स्वरोजगार की राह अपनाई है। उनके बाग में विभिन्न प्रजाति के सेब के पौधे हैं। वर्तमान में बगीचे में 2500 से अधिक सेब के पौधे हैं, जो फल देने को तैयार हैं। उनका कहना है कि अपने घर पर रहकर भी स्वरोजगार की मुहिम को मजबूत कर बहुत हद तक पलायन रोका जा सकता है।
जौनपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत रौतू की बेली के राजेश भंडारी ने डबराल गांव में शानदार बगीचा तैयार किया है। उन्होंने नौकरी की बजाए अब सेब और अन्य फलदार पौधों की बागवानी करने की ठानी है। भंडारी ने 2018 में 500 सेब के पौधों से सेब की बागवानी शुरू की थी। उनके बगीचे में सुपर चीफ, रेड चीफ, जीरो माइन, गेलगाला, रेडलम गाला समेत अनेक प्रजाति के सेब उगाए जा रहे हैं। राजेश बताते हैं कि उन्होंने 500 रेड चीफ विशेष प्रजाति के पौधे हिमाचल प्रदेश से मंगाए। जो महज एक साल में ही फल देने लगे हैं। गत वर्ष फरवरी माह में 1000 पौधे उद्यान विभाग थत्यूड़ ने दिए। इस साल फरवरी में भी उन्होंने 500 सेब के पौधे क्लोनल, रूट स्टॉक अपने बगीचे में लगाए हैं। आलम यह है कि इस वित्तीय वर्ष में उन्होंने 50 हजार से अधिक सेब स्थानीय बाजार में बेच डाले। जिससे उन्हें लाखों का मुनाफा हुआ है। अब राजेश बागवानी से ही स्वरोजगार की ओर आगे बढऩा चाहते हैं। बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद उनके पास रोजगार खत्म हो गया था। जिसके बाद तत्कालीन डीएम मंगेश घिल्डियाल, डीएचओ डा. डीके तिवारी और सहायक उद्यान अधिकारी थत्यूड़ सुंदर लाल शाह का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। उनकी प्रेरणा से आज वह उद्यान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने स्थानीय युवाओं से पुश्तैनी जमीन को बंजर रखने और बाहर होटल आदि में नौकरी करने की बजाए कृषि, बागवानी और वानिकी के क्षेत्र में स्वरोजगार की सलाह दी है।
इस बाबत सहायक उद्यान अधिकारी सुंदर लाल शाह का कहना है कि युवाओं को चाहिए कि स्वरोजगार की राह अपनाए। उद्यान विभाग में कृषि और बागवानी के लिए 90 प्रतिशत अनुदान से स्वरोजगार के लिए सहयोग दिया जाएगा। सेब, कीवी, अमरूद, टमाटर, शिमला मिर्च आदि के उत्पादन से आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है।