थत्यूड

भवान बाजार में आस्था का सैलाब, सिद्धपीठ मां भवानी मंदिर में नवमी पर भव्य भंडारा

श्रद्धा और भक्ति का संगम, परंपरानुसार हरियाली काटने की परंपरा निभाई गई

रिपोर्ट –मुकेश रावत 

थत्यूड़। नवरात्रि की नवमी तिथि पर बुधवार को जौनपुर ब्लॉक के अंतर्गत भवान बाजार स्थित सिद्धपीठ मां भवानी मंदिर में आस्था और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला। मंदिर परिसर में भव्य भंडारे का आयोजन हुआ और परंपरागत ‘हरियाली काटी’ गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालु दूर-दराज़ के गांवों से मां भवानी के दर्शन हेतु मंदिर पहुंचे।

मंदिर समिति और व्यापारियों ने संभाली व्यवस्था

आयोजन की संपूर्ण व्यवस्था मां भवानी मंदिर समिति और भवान बाजार व्यापार मंडल ने की। इस दौरान समिति के सदस्य राकेश नौटियाल, खुशहाल सिंह चौहान, महावीर प्रसाद नौटियाल, व्यापार मंडल अध्यक्ष जगमोहन चौहान, मनवीर रमोला, सुरेश चौहान, धनपाल सिंह चौहान सहित मंदिर पुजारी सदानंद नौटियाल, मुकेश नौटियाल और मुख्य सहयोगी राजेश अग्रवाल विशेष रूप से मौजूद रहे।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : बाढ़ में बह गया था मूल मंदिर

माना जाता है कि यह मंदिर प्राचीन काल से सिद्धपीठ के रूप में स्थापित है। मान्यता है कि भवानी देवी के नाम पर ही यह स्थान “भवान” कहलाया। लगभग 100 वर्ष पूर्व मंदिर दो नदियों के संगम पर स्थित था, किंतु वर्ष 1924 की भीषण बाढ़ में मूल मंदिर बह गया। उस समय मूर्ति और अवशेषों को सुरक्षित निकालकर तत्कालीन पुजारी पतेराम नौटियाल तथा ग्रामीणों के सहयोग से वर्तमान मंदिर का निर्माण लगभग 100 मीटर दूरी पर कराया गया।

स्थानीय मान्यता : हर मुराद होती है पूरी

मां भवानी के प्रति जन-जन की आस्था इतनी गहरी है कि नैनबाग क्षेत्र के गोडर, खटर, कंडारी, छैजुला, पालीगाड सहित उत्तरकाशी की कई ग्राम पंचायतों की यह कुलदेवी मानी जाती हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मां भवानी के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई हर इच्छा पूरी होती है। यही कारण है कि नवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है।

नए स्वरूप में निखरी भव्यता

वर्ष 2020-21 में मंदिर का पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण किया गया, जिसके बाद इसकी भव्यता और वास्तुकला और भी निखर उठी। आज यह मंदिर केवल श्रद्धा का केंद्र ही नहीं बल्कि अपनी दिव्यता और स्थापत्य कला के कारण भी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।

नवमी पर दिखी आस्था और परंपरा की अनूठी छटा

नवरात्रि की नवमी पर आयोजित इस आयोजन ने एक बार फिर सिद्ध किया कि मां भवानी का मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और लोकविश्वास का जीवंत प्रतीक है।

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