
रिपोर्ट –मुकेश रावत
थत्यूड़ (टिहरी गढ़वाल)। जौनपुर विकासखंड के ग्राम बंगशील स्थित प्राचीन भोलेनाथ मंदिर में रविवार देर शाम वैदिक मंत्रोच्चारण और पारंपरिक रीतिरिवाजों के साथ भाद्रपद माह में पढ़ने वाली हरियाली का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर ग्रामीणों की बड़ी संख्या में मौजूदगी रही।
हर साल बदलती है परंपरा की बारी
मंदिर के पुजारी विजय गौड़ ने ग्रामीणों की मौजूदगी में भोलेनाथ की हरियाली डाली।
ग्राम लंबरदार गोबिंद सिंह राणा ने बताया कि परंपरा के मुताबिक एक वर्ष देवलसारी मंदिर में ग्राम पूजालड़ी निवासी हरियाली डालते हैं, जबकि अगले वर्ष ग्राम बंगशील निवासी इस परंपरा का निर्वहन करते हैं।
24 अगस्त को कालरात्रि, 25 को होगी हरियाली की काट
ग्रामीणों के अनुसार 24 अगस्त को कालरात्रि महोत्सव होगा, जिसमें रात्रि जागरण, पांडव नृत्य और लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
वहीं 25 अगस्त को हरियाली काटी जाएगी और इसे भोलेनाथ का आशीर्वाद मानकर पूरे गांव व भक्तजनों में वितरित किया जाएगा।
त्रिलोकिनाथ की अनूठी लीला से जुड़ी मान्यता
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि बंगशील-देवलसारी तीर्थ भगवान त्रिलोकिनाथ की लीलाभूमि माना जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह में यहां धान की लहलहाती क्यारियों के बीच भोलेनाथ साधु के वेश में प्रकट हुए। ग्रामीणों ने उन्हें ठुकरा दिया तो क्षणभर में धान की क्यारियां देवदार के जंगल में बदल गईं।
तभी से यहां भोलेनाथ की पूजा देवदार से बनी पीली पिठाई और नए चावल से की जाती है।
भक्तों में अटूट आस्था
ग्रामीणों के अनुसार, इस प्राचीन मंदिर की परिक्रमा करने आज भी रात्रि के चौथे पहर शेर आता है।
मान्यता है कि यहीं पर भोलेनाथ कोनेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हुए और तब से हर वर्ष भाद्रपद माह में हरियाली डालने की यह परंपरा बंगशील और देवलसारी में बारी-बारी से निभाई जाती है।