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मसूरी के विभाकर पाल बने आईएएस अधिकारी,परिवार में दौड़ी खुशी की लहर

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👉मसूरी के विभाकर पाल यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2022 में 521 रैंक लाकर बने आईएएस अधिकारी
 
👉पाचवे अटेम्प्ट में  यूपीएससी सिविल सर्विसेज का पेपर किया कलीयर, परिवार और मसूरी में खुशी की लहर

मसूरी के विभाकर पाल यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2022 में 521 की रैंक लाकर आईएएस बन गए हैं इसको लेकर मसूरी में खुशी का माहौल है बता दें कि विभाकर पाल द्वारा लगातार मिल रही असफलताओं के बाद पांचवें अटेंप्ट में यूपीएससी सिविल सर्विसेज का पेपर क्लियर किया है। यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2022 में 521 रैंक प्राप्त कर आईएएस अधिकारी बन गए हैं। जिसको लेकर विभाकर पाल के परिवार में खुशी का माहौल है।  मसूरी लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक आकदमी के परिसर में रहने वाले विभाकर पाल के पिता पवन पाल अकादमी में एडमिनिस्ट्रेटिव आफिसर के पद पर तैनात हैं वह आईएएस अकाडमी में 1989 में क्लर्क के पद पर नियुक्त हुए थे । पवन पाल की एक लड़की और एक लड़का है जिसमें से लड़की कृतिका पाल सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके यूपीसीएल में सहायक अभियंता के पद पर रूडकी में तैनात है और उनके पुत्र विभागकर पाल द्वारा यूपीएसएसी सिविल सर्विसेज का पेपर क्लीयर कर आईएएस अधिकारी बन गए है।
आईएएस विभाकर पाल ने बताया कि उनकी शुरुआत की शिक्षा मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री के बालवाड़ी से हुई जिसके बाद उन्होने कक्षा दसवीं तक हैंपटन कोर्ट स्कूल मसूरी में पढ़ाई की व 12वीं करने के लिए देहरादून स्कॉलर्स होम चले गए। 12वीं के बाद उन्होंने बीटेक सिविल इंजीनियरिंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जालंधर से की और इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। उन्होंने बताया कि पहले अटेंप्ट में वह फेल हो गए ।जिससे उनको मायूसी हाथ लगी। इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दोबारा से शुरू की । उन्होंने कहा कि सिविल सर्विसेज की तैयार को लेकर जो डिमांड होती है उसको वह पहले अटेम्प्ट में नही समझ पाये थे। जिसके बाद उन्होने सिविल सर्विस के सिलेबस को समझा और तैयारी में जुट गए परन्तु उसके बाद भी वह पेपर को क्लीयर नही कर पाये वह चौथे अटेम्प्ट में वह एक नम्बर से रहे गए जिससे उनको बहुत ज्यादा मायूसी हाथ लगी परन्तु उन्होने हिम्मत नहीं हारी और पांचवें अटेम्प्ट में वह पास हो गए।
विभाकर पाल ने बताया कि यूपीएसएसी सिविल सर्विसेज के लिये सिलेबस को समझा बहुत जरूरी है । बच्चे के लिए सिलेबस एक बाइबल और गीता की तरह होना चाहिये । अगर सिलेबस को सही तरीके से अध्ययन कर लिया गया और सिलेबस के मुताबिक पढ़ने का एक्शन प्लान तैयार किया गया तो ाफलता हर हाल में मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब वह एग्जाम दे रहे थे तो उनके लेखनी के तरीके में भी काफी कमी थी इसको लेकर उन्हें लगातार सुधार किया वहीं चौथे अटेम्पट में वह एक नंबर से विफल होने के बाद उन्होने उम्मीद नहीं छोड़ी और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करते रहें ।।उन्होंने कहा कि जब वह अपना पांचवा अटेम्पट देने की तैयारी कर रहे थे तो उनके  द्वारा आईएएस में टॉपरर्स की इंटव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग और उनके नोट्स को अध्ययन किया गया और उसी के मुताबिक तैयारी की गइ ।पांचवें अटेम्पट में उन्होने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जिससे उनके  बहुत ज्यादा खुशी है।
 उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में उनके माता-पिता और उनकी बहन का बहुत बड़ा सहयोग रहा है जिनके द्वारा उनके साथ लगातार गाइड करने के साथ हिम्मत देने का काम किया गया।  उन्होंने कहा कि मसूरी शहर काफी छोटा है और यहां पर कंपटीशन नहीं है एक्सपोजर नहीं है उन्होंने कहा कि जब आप बाहर जाते हैं तो आपसे अच्छे पढ़ने वाले काफी लोग से मुलाकात होती है जिससे यूपीएसएसी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने में काफी मदद मिलती है।
आइएएस विभाकर पाल ने बताया कि  इंटरव्यू के दौरान छात्रों से बोर्ड कमेटी द्वारा उत्तराखंड से संबिधत काफी प्रषन पूछे गए परन्तु जब उनको इंटरव्यू हुआ तो बोर्ड द्वारा उनसे उत्तराखंड को लेकर उक भी सवाल नही पूछा गया। जिससे उनको मायूसी हुई थी परंतु जो सवाल बोर्ड द्वारा पूछे गए उसको उन्होंने उसका बखूबी से उत्तर दिया और वह सफल भी रहे उन्होंने छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि जिन बच्चों को  सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है । अपने स्कूल के समय पर ही अपने लक्ष्य को निर्धारित कर उसके अनुसार मेहनत करनी चाहिए तो उनको सफलता जरूर मिलेगी । उन्होने कहा कि सरकार द्वारा जो भी उनको प्रशासनिक स्तर पर जिम्मेदारी दी जाएगी वह उसके लिए मेहनत करेंगे और अपने देश की अग्रणी विकास के साथ जनता के लिए सेवा भाव से काम करेंगे।
विभाकर पाल के पिता पवन पाल ने बताया कि विभाकर बचपन से ही पढ़ने में काफी अच्छा था और तभी उनहे लग गया था कि विभाकर एक दिन बड़ा अधिकारी बनेगा। उन्होंने कहा कि वह खुद लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में काम करते हैं और वहां पर आईएएस अधिकारियों से दिन-रात मिलते हैं और उनका भी सपना था कि उनके बच्चे आईएएस अधिकारी बने जिसके लिए वह समय-समय पर अपनी बेटी और बेटे को आईएएस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया करते थे। उन्होंने बताया कि जब विभाकर यूपीएसएसी सिविल सर्विसेज एग्जाम में लगातार विफल हो रहा था तो उनको चिंता जरूर हुई कि विभाकर पर बेवजह का पढ़ाई का प्रेशर ना बन जाए । परन्तु वह उनकी पत्नी और बेटी विभाकर का मनोबल बढाते रहे । उन्होंने  बताएं कि विभाकर लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करते रहे और आज वह सफल हो गया। जिससे उनका पूरा परिवार काफी खुश है और वह यही कामना करते हैं कि जो के विभाकर अपने देश की सेवा के लिए आगे बढ़े और अपने परिवार के साथ उत्तराखंड और मसूरी का नाम रोशन करे।
विभाकर की मा ने बताया कि  वह अपने दोनों बच्चों से बहुत ज्यादा खुश है दोनों बच्चे ने मुकाम हासिल कर लिया है  लड़की कृतिका पाल वर्तमान में यूपीसीएल में सहायक अभियंता के पद पर रुड़की पर तैनात हैं वही आज उनका होनहार बेटा आईएएस बन गया है उन्होंने कहा कि एक माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे कामयाब हो और आज उनके बच्चों ने उनसे सपना पूरा कर उनका सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
विभाकर की बहन कृतिका पाल ने कहा कि आज उनके लिए गर्व का दिन है कि उनका भाई आईएएस अधिकारी बन गए हैं । उन्होंने कहा कि विभाकर द्वारा इस मुकाम को हासिल करने के लिये बहुत ज्यादा मेहनत की गइ्र है। लगातार विफलता के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये मेहनत करते रहे। उन्होने बताया कि विभाकर काफी हंसमुख और खुशमिजाज व्यक्ति हैं और अपनी पढ़ाई के साथ अपनी खेल-कूद और मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखते है। उन्होंने कहा कि विभाकर एक अच्छे भाई और एक अच्छे इंसान भी हैं और उनको पूरा विश्वास है कि वह अपनी सर्विस के दौरान दिए गए कार्यों को बखूबी और ईमानदारी से निभाएंगे ।

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