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थत्यूड़ के ढाणा में मची भद्राज देवता के मेले की धूम, हषोल्लास के बीच ग्रामीणों ने की जमकर खरीदारी
थत्यूड़ के ढाणा में मची भद्राज देवता के मेले की धूम, हषोल्लास के बीच ग्रामीणों ने की जमकर खरीदारी
थत्यूड़। परंपरागत मेलों व तीज-त्यौहार के आयोजन के लिए अपनी अलग पहचान बना चुके टिहरी जिले के जौनपुर ब्लाॅक में मंगलवार को आस्था के साथ लोकसंस्कृति और आपसी सौहार्द का एक और समागम हुआ। मौका था जौनपुर ब्लाॅक मुख्यालय थत्यूड़ के ढाणा में प्रसिद्ध भद्राज देवता मेले का आयोजन। इस दौरान पूरे ढाणा में हर्षोल्लास का माहौल रहा। ग्रामीणों ने आस्था के सागर में डुबकी लगाने के साथ ही लोकसंस्कृति के रंग भी बिखेरे और जमकर खरीदारी भी की। ढाणा बाजार मेले की गहमागहमी से गुलजार रहा। मेले के सुचारू संचालन और भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए पुलिस-प्रशासन के अलावा स्थानीय ग्रामीणों का विशेष योगदान रहा। ढाणा बाजार में आयोजित भद्राज देवता के मेले में देहरादून, मसूरी समेत सहारनपुर व विकास नगर से आए
कारोबारियों ने अपनी दुकानें व फडें सजाई थी। मेले को लेकर एक सप्ताह पहले से ही कारोबारियों की गहमागहमी ढाणा में बन चुकी थी। मेले में भद्राज देवता की डोली तेवा गांव से ढोल नगाड़ों की धुन पर भक्ति-भाव से नाचते गाते श्रद्धालुओं द्वारा लाया गया। डोली को ढाणा भद्राज देवता मंदिर में नचाया गया। मंदिर के पुजारी सोवन सिंह परमार, ब्राह्मण जगत राम मैठानी ने बताया कियह मेला वर्ष 1990 से हर वर्ष 24 गति बैसाख को मनाया जाता है। मान्यता है कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं उन सभी की मन्नतें भगवान भद्राज देवता पूर्ण करते हैं। आपको बता दें कि यह मेला हर वर्ष 24 गते वैशाख यानी 7 मई को लगता है साल का अंतिम मेला होने के कारण इस मेले में हजारों की भीड़ लगती है।
थत्यूड़। परंपरागत मेलों व तीज-त्यौहार के आयोजन के लिए अपनी अलग पहचान बना चुके टिहरी जिले के जौनपुर ब्लाॅक में मंगलवार को आस्था के साथ लोकसंस्कृति और आपसी सौहार्द का एक और समागम हुआ। मौका था जौनपुर ब्लाॅक मुख्यालय थत्यूड़ के ढाणा में प्रसिद्ध भद्राज देवता मेले का आयोजन। इस दौरान पूरे ढाणा में हर्षोल्लास का माहौल रहा। ग्रामीणों ने आस्था के सागर में डुबकी लगाने के साथ ही लोकसंस्कृति के रंग भी बिखेरे और जमकर खरीदारी भी की। ढाणा बाजार मेले की गहमागहमी से गुलजार रहा। मेले के सुचारू संचालन और भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए पुलिस-प्रशासन के अलावा स्थानीय ग्रामीणों का विशेष योगदान रहा। ढाणा बाजार में आयोजित भद्राज देवता के मेले में देहरादून, मसूरी समेत सहारनपुर व विकास नगर से आए
कारोबारियों ने अपनी दुकानें व फडें सजाई थी। मेले को लेकर एक सप्ताह पहले से ही कारोबारियों की गहमागहमी ढाणा में बन चुकी थी। मेले में भद्राज देवता की डोली तेवा गांव से ढोल नगाड़ों की धुन पर भक्ति-भाव से नाचते गाते श्रद्धालुओं द्वारा लाया गया। डोली को ढाणा भद्राज देवता मंदिर में नचाया गया। मंदिर के पुजारी सोवन सिंह परमार, ब्राह्मण जगत राम मैठानी ने बताया कियह मेला वर्ष 1990 से हर वर्ष 24 गति बैसाख को मनाया जाता है। मान्यता है कि मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं उन सभी की मन्नतें भगवान भद्राज देवता पूर्ण करते हैं। आपको बता दें कि यह मेला हर वर्ष 24 गते वैशाख यानी 7 मई को लगता है साल का अंतिम मेला होने के कारण इस मेले में हजारों की भीड़ लगती है।
Jai ho nhdraj devta ki
Jai ho bhgt jano ki