देहरादून। मानसून के साथ ही डेंगू ने भी दस्तक दे दी है। प्रदेश में दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें एक मरीज टिहरी व दूसरा हरिद्वार जनपद से है। स्वास्थ्य विभाग इनकी ट्रेवल हिस्ट्री के आधार पर यह दावा कर रहा है कि डेंगू का डंक इन्हें राज्य से बाहर लगा। बहरहाल दोनों मरीजों का हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में उपचार चल रहा है। उनकी स्थिति सामान्य बताई गई है।
जानकारी के अनुसार, टिहरी निवासी 33 वर्षीय मरीज जौलीग्रांट अस्पताल में भर्ती है। प्रारंभिक जांच में डेंगू के लक्षण मिलने पर मरीज की एलाइजा जांच कराई गई। जिसमें डेंगू की पुष्टि हुई है। वहीं हरिद्वार निवासी 17 वर्षीय मरीज का ब्लड सैंपल हरिद्वार के एक क्लेक्शन सेंटर से लाया गया था। मरीज की एलाइजा जांच में डेंगू की पुष्टि हुई है। फिलहाल दोनों ही मरीज हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती हैं और उनके स्वास्थ्य में निरंतर सुधार हो रहा है।
इधर, डेंगू की दस्तक होने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एहतियातन कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस बार डेंगू की बीमारी फैलाने वाला मच्छर एडीज जल्दी सक्रिय हो गया है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को एडवाइजरी जारी की गई है। डेंगू पीड़ित मरीजों के लिए अस्पताल में अलग वार्ड बनाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा किसी भी मरीज में डेंगू के लक्षण मिलने पर तुरंत इसकी सूचना देने को कहा है। ब्लड बैंकों के साथ ही जल्द एक बैठक की जाएगी। ताकि प्लेटलेट्स के लिए किसी मरीज को अनावश्यक तकलीफ ना उठानी पड़े।
बरतें सावधानी
डेंगू का मच्छर साफ रुके हुए पानी में पनपता है। कूलर, खुली पानी की टंकी, पक्षियों और पशुओं के पानी का बर्तन, फूलदान, नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन, टायर, डिस्पोजल बर्तन-गिलास आदि में। पानी से भरे बर्तन-टंकियों को ढक कर रखें। प्रत्येक सप्ताह कूलर को खाली करके सुखा कर ही उपयोग में लाएं। मच्छर रोधी क्रीम, क्वाइल, रिपेलेंट आदि का उपयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
डेंगू का डंक: मच्छर जागा, सिस्टम भी
बीते वर्षो में डेंगू का कहर प्रदेश में इस कदर छाया रहा कि स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ-पांव फूल गए। इसका सबसे अधिक असर देहरादून में दिखा। वर्ष 2016 में 1434 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। यहां तक कि तीन लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री तक को खुद मैदान में उतरना पड़ा था। वर्ष 2017 में 366 व गत वर्ष 314 मामले पॉजीटिव पाए गए। इस बार भी डेंगू का डंक परेशानी खड़ी कर सकता है। जिला वीबीडी अधिकारी सुभाष जोशी का कहना है कि डेंगू को लेकर विभाग सतर्क है। जनपद देहरादून में डेंगू का अब तक कोई मामला नहीं आया है। विभाग ने पूर्व रणनीति के तहत संभावित क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया था। इसके अलावा नगर निगम केस्तर पर फॉगिंग भी की जा रही है। डेंगू की रोकथाम के लिए इंटेंसिव सोर्स डिटेक्शन सर्वे भी किया जा रहा है। दून में 200 से अधिक आशाएं संभावित स्थानों पर जाकर लिस्ट तैयार कर रही हैं। जिसके बाद नगर निगम छिड़काव करेगा।
बता दें, डेंगू का मच्छर एक बार में तकरीबन दो सौ से अधिक अंडे देता है। वहीं अंडे से लार्वा पैदा होने का चक्र काफी समय तक चलता है। ऐसे में एक बार छिड़काव करने से असर नहीं होता है। इसलिए जो स्थान चिह्नित होंगे, वहा पर कई बार छिड़काव किया जाएगा। जुलाई से लेकर नवंबर तक पानी के ठहराव को देखते हुए डेंगू के प्रकोप की संभावनाएं अधिक रहती हैं। ऐसे में आशा कार्यकर्ताओं की मदद से दवाई घर-घर पहुंचाई जाएगी। जहां पानी केठहराव की संभावनाएं रहेंगी, वहां दवा डालकर डेंगू के लार्वा व प्यूपा को पनपने से पहले ही खत्म कर दिया जाएगा।