प्रशासकों की तैनाती प्रदेश में पहले भी एक बार हो चुकी है। जब पंचायत चुनाव समय पर नहीं हो सके थे। राज्य गठन के बाद पंचायत चुनाव के लिए हर बार कई कई महीनों का इंतजार करना पड़ा है। इस बार भी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। हालांकि राज्य निर्वाचन आयोग ने अपने स्तर पर ज्यादातर काम पूरे कर लिए हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन हो गया है।
इसके अलावा, आयोग ने मतपत्र छपवाने की प्रक्रिया भी शुरू करा दी है। जहां तक सरकार का सवाल है, उसके स्तर पर अभी पंचायतों का आरक्षण तय होना बाकी है। इन स्थितियों के बीच आज से 12 जिलों की सभी ग्राम पंचायतों में बतौर प्रशासक जिलाधिकारी काम संभाल लिया। हालांकि कई ग्राम पंचायतों में प्रशासकों ने एक दिन पहले भी चार्ज ले लिया था। इसकी वजह ये है कि 2014 में कई ग्राम पंचायत बोर्ड की पहली बैठक 13 जुलाई को हुई थी। इस हिसाब से उनका कार्यकाल रविवार को खत्म हो गया। ज्यादातर ग्राम पंचायत बोर्ड की बैठक 15 जुलाई को हुई थी। इस वजह से उनका पांच साल का कार्यकाल सोमवार को पूरा हुआ।
पंचायतीराज संशोधन बिल पर असमंजस बरकरार
पंचायतीराज संशोधन बिल 2019 पर असमंजस बरकरार है। इस बिल पर अभी राजभवन की मुहर भी नहीं लग पाई है। पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच सबकी नजरें एक बात पर है। वह यह कि इस बार के चुनाव दो बच्चों और शैक्षिक योग्यता की शर्तों के आधार पर होंगे या नहीं। दरअसल, इन दोनों ही संशोधनों से जुड़ी कमियों पर लगातार बात हो रही है। दो बच्चों से जुड़ी शर्त पर कट ऑफ डेट न होने के कारण सवाल उठ रहे हैं, जबकि ओबीसी की शैक्षिक योग्यता का बिल में अलग से जिक्र नहीं किया गया है।
देहरादून I प्रदेश में हरिद्वार को छोड़कर बाकी 12 जिलों की ग्राम पंचायतों में आज से पूरी तरह से प्रशासक राज हो गया। ऐसी ग्राम पंचायतों की संख्या साढ़े सात हजार तक बताई जा रही है। ग्राम पंचायतों के बाद बहुत जल्द क्षेत्र और जिला पंचायतों में भी यह स्थिति दिखाई देगी। क्षेत्र और जिला पंचायतों का कार्यकाल अगस्त माह में समाप्त हो रहा हैं। वहां भी प्रशासकों को तैनात करने की तैयारी सरकार कर रही है।