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परम्परागत कृषि विकास योजना की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी डॉ०वी०षणमुगम

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थत्यूड़। नई टिहरी 23 जुलाई  जिलाधिकारी डाॅ. वी. षणमुगम द्वारा जनपद में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए संचालित केन्द्र पोषित परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की समीक्षा सम्बन्धित विभाग कृषि, उद्यान, रेशम एवं जड़ी बूटी विभाग के अधिकारियों के साथ की गयी। जिलाधिकारी द्वारा पीकेवीवाई के क्रियान्वयन के बारे में विस्तार से जानकारी ली गयी तथा योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये। जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देश दिये कि पीकेवीवाई के सफल क्रियान्वयन हेतु इस योजना के अन्तर्गत बनाये गये समूह में सम्मिलित किसानो को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लोन भी दिलाया जाय साथ ही मनरेगा से भी कन्वर्जन कर किसानों को लाभाविन्त किया जाय। इस योजना के अन्तर्गत किसानो को प्रशिक्षण ठीक प्रकार से दिया जाय। साथ ही जनपद के ऐसे क्षेत्र जहां ऑर्गेनिक खेती के सफल परिणात रहे हैं उन क्षेत्रों का किसानों को निरीक्षण भी कराया जाय ताकि किसान आॅग्रेनिक खेती को उत्साहपूर्वक अपना सकें। इस योजना के अन्तर्गत आने वाले किसानो के मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जायें ताकि वे खेत की मृदा की आवश्कतानुसार जैविक खाद का प्रयोग करें।  किसानो को मदद/जानकारी दिये जाने के मकसद से हैल्पलाईन नम्बर भी बनाया जाय। जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि किसी क्षेत्र विशेष में जहां कोई एक फसल बाहुल्य क्षेत्र है उस क्षेत्र में पीकेवीवाई के अन्तर्गत निर्मित समूह में न आने वाले किसानों को भी  विभाग की अन्य योजनाओं से लाभाविन्त किया जाय ताकि वे सम्बन्धित फसल का उत्पादन जैविक तरीके से कर सकें तथा जनपद में जैविक खेती को बढ़ावा मिल सके। जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि इस योजना के अन्तर्गत किसानो  को लोकल स्तर पर जो वस्तुएं उपलब्ध करायी जा रही हैं किसान उनका प्रयोग कर रहे हैं अथवा नहीं इसके निरीक्षण की भी व्यवस्था की जाय। जिलाधिकारी ने सम्बन्धित अधिकारियों को आॅर्गेनिक खेती के लिए बीज उत्पादन एवं आॅर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग की भी योजना बनाने के निर्देश दिये। 
      मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने बताया कि पीकेवीवाई तीन वर्षीय योजना है जो वित्तीय वर्ष 2018-19 से जनपद में संचालित की जा रही है तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 तक चलेगी। यह योजना जनपद के सभी नौ विकासखण्ड में संचालित की जा रही है। जिसके तहत किसानों के समूह बनाये गये हैं। प्रथम वर्ष में इस योजना के अन्तर्गत जनपद में  281 समूह कृषि विभाग, 300 समूह उद्यान विभाग, 14 समूह जड़ी-बूटी विभाग एवं 4 समूह रेशम विभाग द्वारा बनाये गये हैं। प्रत्येक समूह में 50 किसानो को सम्मिलित किया गया है। एक समूह द्वारा 20 हेक्टयर में खेती की जायेगी।  तिवारी ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत वर्मी कम्पोस्ट, बायो फर्टीलाईजर, बीज रोपण, जैव कीट नाशी के रूप में प्रत्येक किसान को प्रति वर्ष रू0-4800 (चार हजार आठ सौ) कि सहायता प्राप्त हो रही है। 
      बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आशीष भटगांई, जिला विकास अधिकारी आनन्द सिंह भाकुनी, जिला उद्यान अधिकारी डीके तिवारी आदि उपस्थित थे।

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