थत्यूड़ | जौनपुर ब्लाक के ग्राम ख्यार्शी ललोटना टिकरी लगडासु बिरोड अग्यारना में इन दिनों जागड़ा पर्व की धूम मची हुई है आपको बता दें धार्मिक पर्व जागड़ा राजा रघुनाथ देवता स्थापना के रूप में मनाया जाता है। ग्रामीण उपेंद्र गुसाई बृजमोहन रांगड़ विजय सिंह गुसाईं में बताया कि इस पर्व की संध्या कालरात्रि के रूप में मनाई जाती हैं दूसरे दिन भव्य रुप से सभी देवी देवता अवतरित होते हैं। द्वापर युग में भगवान श्री राम ने अपने भक्तों के रक्षा के लिए बहुत जगह अपने धाम चुने जिसमें कहा जाता है कि पहला मंदिर राजा रघुनाथ जी का कश्मीर में हैं उसके बाद हनोल में है जोकि जौनसार मैं पढ़ता है। राजा रघुनाथ जी की विशेषता यह है की जिस गांव में राजा रघुनाथ का मंदिर है और उस गांव के ग्रामवासी अपने देवता की पूजा अर्चना खूब करते हैं। वहां पर राजा रघुनाथ जी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। उस गांव की बेटी बहन जो दूसरे जगह अपने ससुराल में रहती हैं और अगर उसे वहां पर किसी भी प्रकार की परेशानी उसके बच्चों को दुख बीमारी होती हैं तो वह बहन बेटी अपने देवता का सुमिरन करके आह्वान करती हैं। की मेरा सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा तो मैं तेरे दर्शनों के लिए आऊंगी तो रघुनाथ उनकी रक्षा के लिए उनके ससुराल तक जाते हैं। और बदले में उन बहन बेटियों की मन्नत पूरी होने के बाद सभी बहन बेटी इस जांगड़े में अपने मायके वाले मंदिर पर भगवान राजा रघुनाथ के लिए चढ़ावा छत्र श्रीफल या वस्त्र आदि लेकर पहुंचती है। भगवान राजा रघुनाथ जी जब राक्षसों का बहुत प्रकोप बढ़ गया था। तब भगवान शिव और भगवान राम ने इकट्ठा होकर उन राक्षसों का संहार किया था। जिस रूप में उन्होंने राक्षसों का संहार किया था। वह आज महाशिव देवता के नाम से भी जाना जाता है। और हमारे उत्तराखंड गढ़वाल की भाषा में इन देवता का नाम महासु देवता भी कहा जाता है। झगड़े के दिन भगवान राजा राम नाथ की डोली को स्नान कराया जाता है। उसके पश्चात पूरे ग्राम सभा में सभी देवताओं का भ्रमण होता है और समापन में आए चढ़ावे में आए बकरों को मां काली को बलि के रूप में भेंट चढ़ाई जाती है।
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