नई दिल्ली I निर्भया गैंगरेप के दोषी विनय कुमार शर्मा के बाद अब एक और दोषी मुकेश सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया है. मुकेश सिंह के वकील ने गुरुवार शाम को याचिका दायर की. इससे पहले विनय ने गुरुवार को ही दिन में क्यूरेटिव पिटीशन दायर किया था.
निर्भया केस के चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा, लेकिन दोषियों की कोशिश है कि उन्हें मिलने वाली फांसी की सजा में और देरी होती जाए. दोषी चाहते हैं कि उन्हें दी जाने वाली फांसी की तारीख टाली जाए. दोषी मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की ओर से गुरुवार को इसी सिलसिले में ही याचिका दायर की गई है.
4 दोषियों में से 2 दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर दी है. दोषी विनय ने अपने याचिका में गुहार लगाई है कि सुप्रीम कोर्ट इस बात पर गौर करे कि अपराध के वक्त वह महज 19 वर्ष का था. ऐसे में सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि को देखते हुए मामले की गंभीरता कम करने के तथ्य के रूप में लिया जाना चाहिए.
दोषी विनय ने अपनी याचिका में यह दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और हत्या से जुड़े 17 अन्य मामलों में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला है, जिसमें नाबालिग भी शामिल हैं. ऐसे में दोषी विनय को भी राहत दी जानी चाहिए.
आरोपियों के खिलाफ जारी हो चुका डेथ वारंट
पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों के लिए फांसी की तारीख 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तय करने के बाद डेथ वॉरंट जारी कर दिया था. हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे.
डेथ वॉरेंट जारी करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट इस फैसले को चुनौती देने के लिए चारों को 7 दिन का वक्त दिया था. फैसले के बाद दोषियों के वकील वकील एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 5 सीनियर मोस्ट जज सुनवाई करेंगे.
दोषियों के पास अब क्या हैं विकल्प?
दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी होने के बाद भी कई तरह की कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिसके जरिए निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी की तारीख आगे बढ़वाने की कोशिश की जा रही है. क्यूरेटिव याचिका पर अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करता है और अगले 12 दिनों के भीतर इस पर फैसला नहीं आता तो फांसी की तारीख आगे बढ़ सकती है.
राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित
क्यूरेटिव पिटीशन के अलावा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भी इन दोषियों की दया याचिका लंबित है. अगर राष्ट्रपति इन दोषियों की दया याचिका पर शेष 12 दिनों में फैसला नहीं लेते तो भी फांसी की तारीख आगे खिसक सकती है. मर्सी पिटीशन यानी दया याचिका का इस्तेमाल तो इनमें से एक को छोड़कर बाकी तीन ने अभी तक किया ही नहीं है.
क्या है क्यूरेटिव पिटीशन
क्यूरेटिव पिटीशन पुनर्विचार याचिका से अलग होता है. इसमें फैसले की जगह पूरे केस में उन मुद्दों या विषयों को चिन्हित किया जाता है जिसमें उन्हें लगता है कि इन पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. अगर कोर्ट जरूरी समझता है तो इस पर सुनवाई कर सकता है, नहीं तो याचिका खारिज हो सकती है.