जबकि 63.2 प्रतिशत बरामदगी कर राज्य देश में तीसरे स्थान पर रहा है। प्रोफेशनल पुलिसिंग के बल पर पिछले सालों के मुकाबले बरामदगी में बढ़ोत्तरी की है। प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर अपराध दर में भी उत्तरी राज्यों में उत्तराखंड अव्वल रहा है।
पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया वर्ष 2018 के अपराध आंक ड़ों का हवाला देते हुए शुक्रवार को उत्तराखंड की उपलब्धि मीडिया से साझा की।
उन्होंने बताया कि कुल घटित संज्ञेय अपराधों (भादावि) में जनसंख्या के आधार पर प्रति लाख 133.3 घटित अपराध को लेकर उत्तराखंड पूरे देश में छठे स्थान पर रहा। जबकि उत्तरी राज्याें में प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राज्य पहले नंबर पर आया है। जबकि मध्यम और बड़े राज्यों में झारखंड के बाद उत्तराखंड दूसरे स्थान पर रहा है।
अन्य राज्य इस स्थान पर रहे
उत्तरी राज्यों में संपत्ति बरामदगी में उत्तराखंड ने प्रथम स्थान पाया है। जबकि पड़ोसी राज्य हिमाचल दूसरे, जम्मू कश्मीर तीसरे, पंजाब चौथे, उत्तर प्रदेश पांचवें और हरियाणा छठे यानि अंतिम स्थान पर रहा है। इससे पहले उत्तराखंड में 2016 में 54 प्रतिशत और 2017 में 52.7 प्रतिशत संपत्ति की बरामदगी की थी। 2018 में पुलिस से 11 करोड़ की लूटी और चोरी संपत्ति बरामद करने में कामयाब रही है।
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि प्रोफेशनल पुलिसिंग से संपत्ति की बरामदगी बढ़ी है। भविष्य में बरामदगी को बढ़ाने के प्रयास जारी रहेंगे। उन्हाेंने बताया कि प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबंधित अपराधों में पिछले बरसों के मुकाबले कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों से यह भी साफ हुआ कि उत्तरी राज्यों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए उत्तराखंड सर्वाधिक सुरक्षित राज्य है।