उत्तराखंड

स्टाफ के अभाव में स्वास्थ्य उपकेंद्रों में लटके ताले

धनोल्टी विधानसभा में मुंह चिढ़ा रही बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं, बनाली में सात साल से लगे हैं ताले, जर्जर भवन में चल रहा धनोल्टी का उपकेंद्र

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थत्यूड़। टिहरी जिले की धनौल्टी विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति स्वास्थ्य महकमे और सरकार को मुंह चिढ़ा रही हैं। सुचारू स्वास्थ्य सेवाओं के लंबे-चैड़े दावे यहां हवा-हवाई ही साबित हो रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य केंद्र कहीं जर्जर भवन में चल रहे हैं तो कहीं स्टाफ और दवाओं की भारी कमी बनी है। स्टाफ के अभाव में स्वास्थ्य उपकेंद्रों में ताले लग जाना भी अब हैरानी की बात नहीं रह गई है।
धनौल्टी विधानसभा के ग्राम बनाली में पिछले सात सालों से स्वास्थ्य विभाग का उपकेंद्र बंद पड़ा हुआ है। आपको बता दें कि इस केंद्र में एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति हुई थी। सात साल पहले बनाली से फार्मासिस्ट की व्यवस्था धनौल्टी में कर दी गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने बनाली स्वास्थ्य उपकेंद्र की ओर मुड़ कर देखना जरूरी नहीं समझा। करीब चार सौ से ज्यादा जनसंख्या वाले बनाली गांव का यह उपकेंद्र बंद पड़ा है। बनाली में ना तो अस्पताल की कोई सुविधा है और ना कोई फार्मासिस्ट की। गांव में लोगों को सर्दी-बुखार और अन्य छोटी-मोटी बीमारियों की दवाइयां लेने के लिए भी बीस किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की इस अनदेखी के चलते स्थानीय ग्रामीणों में भारी रोष बना है। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्य चिकित्साधिकारी भागीरथी जंगपानी ने भरोसा दिलाया था कि एक-दो दिन के भीतर बनाली में फार्मासिस्ट को भेज दिया जाएगा, एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अभी तक बनाली में फार्मासिस्ट की
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नियुक्ति नहीं हो पायी है।इधर, विश्व विख्यात पर्यटन नगरी धनौल्टी का राजकीय स्वास्थ्य उपकेन्द्र बजट के अभाव में दम तोड़ रहा है। पर्यटन सीजन शुरु हो जाने के बाद भी इस स्वास्थ्य उपकेंद्र की व्यवस्था पटरी पर नहीं आई है। आपको बता दें की धनोल्टी में देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। पर्यटकों और क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के नाम पर सिर्फ दिखावा ही हो रहा है। तबियत खराब होने देहरादून या मसूरी की दौड़ लगानी पड़ रही है। लगभग चालीस ग्राम पंचायत का यह एकमात्र स्वास्थ्य उपकेन्द्र पिछले पैंतीस सालों से जीर्ण शीर्ण भवन में ही चल रहा है। धनौल्टी की प्रधान सुमित्रा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य तपेन्दर बेलवाल, प्रधान प्रतिनिधि देवेन्द्र बेलवाल, व्यापार मंडल अध्यक्ष रघुवीर रमोला का कहना है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र का नया भवन बनाने के लिए भूमि उपलब्ध कराई जा चुकी है, मगर अभी काम अधूरा पड़ा, जिससे लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। गरीब परिवारों के लोग उपचार के लिए देहरादून या मसूरी का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। मात्र एक कर्मचारी के भरोसा चल रहा यह राजकीय स्वास्थ्य उपकेन्द्र ग्रामीणों के साथ स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर धोखा ही साबित हो रहा है। यहां संबिदा पर तैनात चिकित्सक की उपस्थिति नियमित रहने का दावा नहीं किया जा सकता है। जबकि यह विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी हैं स्वास्थ्य उपकेन्द्र है। सोवन गुसांईं, सुरेश बेलवाल, विकास गुसांईं, देवेन्द्र बेलवाल, यशपाल बेलवाल, कुलदीप नेगी, मनोज उनियाल, उत्तम गुसांई, महीपाल कठैत, वीरेन्द्र उनियाल, पदमसिह कठैत व बिसान सिंह बेलवाल आदि स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार इस और कोई ध्यान नहीं दे रही है।

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