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सोनिया गांधी के सियासी सफर पर एक नजर, अंतरिम अध्यक्ष के साथ फिर बनीं कांग्रेस का चेहरा

Sonia Gandhi 2
नई दिल्ली: सोनिया गांधी एक बार फिर कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बन गई हैं। उन्हें अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पार्टी की कमान सौंपी गई। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद से ही पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई थी। अब कांग्रेस एक बार फिर गांधी परिवार से ही सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहने वाली सोनिया गांधी को फिर से यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। आइए एक नजर डालते हैं सोनिया गांधी के राजनीतिक जीवन पर।
कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली में हुआ लेकिन भारत और भारतीय राजनीति में उनका नाम उस समय गूंजना शुरु हुआ जब साल 1968 में उनकी शादी राजीव गांधी से हुई। कैब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने के दौरान राजीव गांधी ने सोनिया गांधी को पहली बार एक रेस्टोरेंट में देखा था और बाद में दोनों की शादी हो गई। सोनिया पहली विदेशी मूल की राजनेता थीं जो हिंदुस्तानी सियासत के शिखर तक पहुंचीं। उन्होंने साल 1983 में भारत की नागरिकता स्वीकार की थी।
ऐसे बनी कांग्रेस की नेता: साल 1991 में जब सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी की एक आत्मघाती हमले में हत्या हुई तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी से अध्यक्ष बनने की गुजारिश की थी लेकिन उस समय पति की हत्या से सदमें में और डरी हुईं सोनिया गांधी ने इससे इनकार कर दिया था। कई रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा भी कहा जाता है कि सोनिया गांधी ने उस समय कहा था, ‘मैं अपने बच्चों को सड़क पर भीख मांगते देख लूंगी लेकिन राजनीति में नहीं आऊंगी।’ इंदिरा गांधी और इसके बाद राजीव गांधी की मौत के बाद जाहिर तौर पर सोनिया सियासी दुनिया के खतरों से वाकिफ थीं।
बाद में सोनिया गांधी ने राजनीति में आने के पीछे कारण बताते हुए कहा था कि वह राजनीति में इसलिए आईं क्योंकि कांग्रेस पार्टी मुश्किल में थी। अगर वह उस समय सियासत से किनारा किए रहतीं तो लोग उन्हें एक कायर के तौर पर जानते।
एक के बाद एक चढ़ती गईं सियासत की सीढ़ियां: सोनिया गांधी ने पहला चुनाव साल 1999 में जीता था। वह कांग्रेस का गढ़ के रूप में चर्चित रही अमेठी से चुनाव जीती थीं जिस पर साल 2019 में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने जीत हासिल की है। साल 2004 में और 2009 में सोनिया रायबरेली की सांसद बनीं और साथ ही कांग्रेस पार्टी को भी आम चुनाव में जीत दिलाई। उनके कांग्रेस अध्यक्ष रहते कांग्रेस नीत यूपीए की 10 साल तक केंद्र में सरकार रही। अब एक बार फिर कांग्रेस मुश्किल स्थिति में है और बेहद बुरे दौर से गुजर रही है ऐसे में सोनिया गांधी से सामने एक बार फिर बड़ी चुनौती है।

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