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शिक्षामित्रों को उच्च न्यायालय के आदेश पर सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्त किया गया था परंतु ऐसे शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जा रहा
थत्यूड़। उत्तराखंड प्रदेश में सेवा नियमावली की सभी शर्तें पूर्ण करने वाले शिक्षामित्रों को उच्च न्यायालय के आदेश पर वर्ष 2015 में सहायक अध्यापक के पदों पर राजकीय प्राथमिक विद्यालय में औपबंधिक रूप से नियुक्त किया गया था। परंतु ऐसे शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जा रहा है वेतन वृद्धि को लेकर कई बार सचिव शिक्षा एवं निदेशक से संगठन के पदाधिकारी मिले परंतु इसका कोई भी समाधान नहीं निकाला गया।।
जनवरी 2015 में 1207 शिक्षकों को सहायक अध्यापक बनाया गया इनमें से अधिकतर जनपदों के विकास खंडों में कुछ शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ मिल रहा है परंतु कुछ आज भी वंचित हैं। जबकि सभी की एक ही साथ एक ही समय पर नियुक्ति हुई है। उत्तराखंड प्रा. समायोजित शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य सिंह पंवार का कहना है कि इस संदर्भ में हम कई बार विभाग के सामने अपनी बात रख चुके हैं ।परंतु विभाग के दवारा हमारी बात को बिल्कुल अनसुना किया गया है। जिस कारण से हमें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। संगठन के द्वारा उच्च न्यायालय में रिट डाली गई है ।कोर्ट ने निदेशक प्रारंभिक शिक्षा एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को 4 सप्ताह के भीतर काउंटर फाइल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि जब यह सभी शिक्षक सेवा नियम नियमावली की सभी शर्तों को पूर्ण करते हैं, टीईटी क्वालीफाई हैं। और इनकी नियुक्ति सहायक अध्यापक के पद पर की गई है। तथा इनको मानदेय नहीं बल्कि चयन वेतनमान व ग्रेड पे पर नियुक्ति दी गई है तो आखिर वेतन वृद्धि का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब एक समय की नियुक्ति है और कुछ को वेतन वृद्धि का लाभ दिया जा रहा है और कुछ को नहीं? आखिर ऐसा क्यों। संगठन के अध्यक्ष का कहना है कि माननीय न्यायालय न्याय संगत फैसला देगा ।जिसके आधार पर हमको वेतन वृद्धि का लाभ अवश्य मिलेगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि हम लोगो ने कोर्ट के संज्ञान में यह भी लाया है कि हम लोग उत्तराखंड प्रदेश में वर्ष 2001 से प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिस वजह से हमको पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाए।
न्यू पेंशन स्कीम वर्ष 2004 के बाद शुरू हुई है जबकि हम इससे पूर्व से काम कर रहे हैं।