विश्व का सबसे कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन, चार पर्वतारोहियों के शवों को 18900 फीट की ऊंचाई पर पहुंचाया
मंगलवार को शवों को 450 मीटर की खड़ी दीवार से नीचे उतारने के बाद बेस कैंप तक पहुंचा दिया जाएगा। आईटीबीपी ने इसे विश्व का पहला और तकनीकी रूप से सबसे कठिन अभियान बताया है।
इस तरह चला 11 घंटे लंबा ऑपरेशन
नंदा देवी में पर्वतारोहण के दौरान पर्वतारोहियों के शव पिंडारी की ओर गिर गए थे। इन शवों को मर्तोली की ओर लाया जा रहा है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 18 हिमवीरों ने पर्वतारोही और बल के सेकेंड कमान अधिकारी आरएस सोनाल के नेतृत्व में सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर ऑपरेशन शुरू किया। जवान बर्फ और खतरनाक दर्रो से शवों को लेकर तीन किलोमीटर चलकर 18900 फीट की ऊंचाई पर स्थित चोटी तक पहुंचे।
कुशल पर्वतारोही जवानों को एक शव को पहुंचाने में तीन घंटे का समय लगा। अपराह्न चार बजे से बर्फबारी होने के कारण ऑपरेशन रोकना पड़ा। मंगलवार की सुबह चार बजे से फिर ऑपरेशन शुरू होगा। शेष तीन शवों को इसी तरह से तीन किमी की चढ़ाई में मर्तोली की ओर लाया जाएगा। इसके बाद सभी शवों को 450 मीटर की खड़ी दीवार से नीचे उतारने के बाद 15600 फीट पर बेस कैंप तक पहुंचा दिया जाएगा, जहां से हेलीकॉप्टर से लिफ्ट कर पिथौरागढ़ लाया जाएगा।
पूरे सम्मान के साथ लाए जा रहे हैं शव
यह है मामला
13 मई को मुनस्यारी से नंदादेवी ईस्ट के लिए गए ब्रिटेन निवासी मार्टिन मोरिन, जोन चार्लिस मैकलर्न, रिचर्ड प्याने, रूपर्ट वेवैल, अमेरिका के एंथोनी सुडेकम, रोनाल्ड बीमेल, आस्ट्रेलिया की महिला पर्वतारोही रूथ मैकन्स और इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडेय पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से लापता हो गए थे। आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी और एवरेस्ट विजेता रतन सिंह सोनाल के नेतृत्व में गई 18 सदस्यीय हिमवीरों की टीम ने 23 जून को सात पर्वतारोहियों के शवों को निकालकर 17800 फीट की ऊंचाई पर अस्थाई कैंप में रखा था।