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लालच में आकर एक लाख में मां ने तो दाई ने दो लाख में बेच दिया तीन माह का शिशु

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रुद्रपुर I महज एक लाख रुपये के लालच में ट्रांजिट कैंप थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने दाई के साथ मिलकर अपने तीन माह के शिशु को बेच दिया। यही नहीं दाई ने भी पैसो के लालच में यूपी निवासी खरीदार से शिशु का दो लाख में सौदा कर दिया। शिशु के पिता की तहरीर पर पुलिस ने तीन घंटे के भीतर ही मां, दाई और तीन खरीदारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस ने सौदे की रकम भी बरामद कर ली है।

पुलिस कार्यालय में शनिवार को मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने बताया कि बीते शुक्रवार की रात करीब 11 बजे ट्रांजिट कैंप राजा कॉलोनी निवासी कमल गंगवार ने पुलिस को उसके घर से तीन माह के बेटे श्रेयांश के अगवा होने की सूचना दी। सूचना पर एसपी सिटी देवेंद्र पींचा और एसओ ट्रांजिट कैंप बीडी जोशी के नेतृत्व में तीन पुलिस टीमों का गठन किया गया।

अगवा होने की अफवाह फैलाई

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि मासूम की मां लता ने रात में ही शिशु को ठाकुर नगर में दाई का काम करने वाली ममता विश्वास को एक लाख रुपये में बेच दिया था। ममता ने रिंग रोड आवास विकास निवासी कुलजीत सिंह के साथ मिलकर ग्राम इंदरपुर बिलासपुर (यूपी) निवासी कुलजीत सिंह और उसकी भाभी रमनदीप कौर के साथ दो लाख में मासूम का सौदा किया था। बताया जा रहा है कि रमनदीप कौर के बच्चे नहीं थे, इसलिए कुलजीत उसके लिए शिशु खरीदना चाहता था।

इधर, मासूम को बेचने के बाद लता ने उसके अगवा होने की अफवाह फैलाई, जिससे उस पर किसी को शक न हो। करीब तीन घंटे की मेहनत के बाद पूरा मामला खुलने पर पुलिस ने मासूम और सौदे की दो लाख की रकम बरामद कर ली। इसके बाद शिशु की मां लता, दाई ममता विश्वास, आवास विकास निवासी कुलजीत सिंह, बिलासपुर निवासी कुलजीत सिंह और उसकी भाभी रमनदीप कौर को गिरफ्तार कर लिया गया। एसएसपी ने बताया कि लता को एक लाख रुपये देने के बाद शेष एक लाख की रकम को ममता और कुलजीत ने आपस में बांट लिया था। 

शिशु पैदा होते ही बना ली थी बेचने की योजना 

मासूम श्रेयांश के पैदा होते ही दाई ममता विश्वास ने उसे बेचने की योजना बना ली थी। इसके लिए ममता लगातार लता के संपर्क में रही और सबसे पहले ममता ने 20 हजार फिर 50 हजार और उसके बाद आखिर में एक लाख रुपये में लता को मना लिया। श्रेयांश से पहले भी लता के दो बेटे हैं। श्रेयांश को बेचने के बारे में लता ने अपने पति कमल और सास को भी नहीं बताया था। 

डिलीवरी के समय भी दो घंटे गायब हुआ था मासूम 
तीन माह पूर्व कमल ने लता की डिलीवरी बरेली के एक निजी अस्पताल में कराई थी। प्रसव होने तक तक दाई ममता ही लता की देखरेख कर रही थी। डिलीवरी के समय ममता भी बरेली पहुंची और प्रसव के बाद दो घंटे तक श्रेयांश अस्पताल से गायब हो गया था। बाद में दाई के पास से परिजनों ने उसे बरामद किया था।

पुलिस टीम पर इनामों की बौछार 

अपनी ही मां द्वारा बेचे गए मासूम को बरामद करने वाली टीम में एसआई दिनेश सिंह, जितेंद्र सिंह, धर्मेंद्र कुमार, हरविंदर कुमार, कांस्टेबल जगमोहन गौड़, जय कुमार, नीरज शुक्ला, धर्मेंद्र प्रसाद, भुवन पांडे, खीम सिंह, राकेश खेतवाल, उमेश डांगी, लक्ष्मण सिंह, रघुनाथ सिंह, महिला कांस्टेबल धारा कोरंगा, जानकी बिष्ट और डॉली भट्ट शामिल थे।

डीआईजी जगतराम जोशी ने टीम को पांच हजार, एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने ढाई हजार और एसपी देवेंद्र पींचा ने डेढ़ हजार रुपये इनाम की घोषणा की है।

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