देहरादून

उत्तराखंड: डेढ़ साल में सीएम की 731 घोषणाएं नहीं हुईं पूरी, अधिकारियों की जवाबदेही होगी तय

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देहरादून। मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर काम को निर्धारित समय में पूरा न करने वाले अधिकारियों की अब जवाबदेही तय होगी। मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए सीएम त्रिवेंद्र रावत ने करीब 45 प्रतिशत घोषणाओं के पूरा न होने पर नाराजगी जताई।

सीएम ने कहा कि घोषणाओं का शत प्रतिशत क्रियान्वयन होना चाहिए। संबंधित विभागों के सचिव अब निरंतर इसकी निगरानी करेंगे। सीएम ने हर विभाग में रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग करने का आदेश दिया।  

समीक्षा में सामने आया कि मार्च, 2018 से लेकर जून, 2019 के बीच मुख्यमंत्री की ओर से की गई 1641 घोषणाओं में से 910 घोषणाओं पर काम पूरा किया जा चुका है। सीएम ने शेष घोषणाओं पर काम को पूरा करने की अवधि तय करने का निर्देश दिया और कहा कि रूफ टाप रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना की जानकारी सभी विभाग एक माह में जलसंस्थान को उपलब्ध कराएं। 

सीएम ने कहा कि नदियों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने की योजना में निर्माण की बजाय रिचार्ज पर ध्यान दिया जाए। चारधाम परियोजना की तर्ज पर लोक निर्माण विभाग सड़कों के किनारे जगह-जगह पर सुविधा केंद्र विकसित करे। साहसिक गतिविधियों के निदेशालय का ढांचा तैयार किया जाए।

बैठक में बताया गया कि इस वर्ष के अंत तक गौरीकुंड जलाशय को पहले जैसी स्थिति में लाया जा सकेगा। सुरकंडा रोपवे का निर्माण शुरू हो चुका है। प्रदेश में पिरुल एकत्र किया जा रहा है। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 

बैठक में सीएम ने ये भी दिए निर्देश..

– हरेला पर्व पर पौधरोपण में सभी अधिकारी और कर्मचारी शामिल हों। 
– हर जिले में बनाए जाने वाले पार्कों को कलर कल्चर दिया जाए। 
– प्रमुख पर्यटन स्थलों पर उच्च स्तरीय शौचालय सुविधाएं विकसित की जाएं। 
– होम स्टे योजना के नियम और प्रक्रिया को सरल किया जाए। 
– धनोल्टी इको पार्क की तरह ही अन्य स्थानों पर भी इको पार्क बनाएं जाएं।
– सिंचाई की लिफ्ट योजनाओं का उपयोग पेयजल के लिए भी किया जाए। 
– नाबार्ड से संबंधित योजनाओं के प्रस्ताव तैयार किए जाएं।
– मुख्य शहरों में जलभराव की समस्या के निदान की पुख्ता व्यवस्था की जाएं।
– गंगोत्री में उच्च गुणवत्ता के घाट, ल्वाली में झील का निर्माण जल्द हो।
– छोटे कस्बों में कूड़ा निस्तारण के लिए डीआरडीओ की ओर से विकसित तकनीक का परीक्षण किया जाए। 
– प्लास्टिक के उपयोग के लिए शहरी विकास विभाग और लोक निर्माण विभाग आपस में समन्वय करें।

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