यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग पर नए नियम लागू, भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा पर जोर
रिपोर्ट–सुभाष बडोनी
उत्तरकाशी, 20 मई 2024 – यमुनोत्री धाम में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत नए आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के तहत जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक घोड़े-खच्चरों और डण्डियों के आवागमन की संख्या और समयावधि निर्धारित की गई है।
घोड़े-खच्चरों के लिए नए नियम
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जानकीचट्टी से यमुनोत्री और यमुनोत्री से जानकीचट्टी आने-जाने वाले घोड़े-खच्चरों की संख्या अधिकतम 800 निर्धारित की गई है। इनका आवागमन प्रातः 4 बजे से साँय 5 बजे तक ही होगा। प्रत्येक घोड़े-खच्चर के लिए यात्रा का कुल समय 5 घंटे निर्धारित किया गया है।
यदि घोड़े-खच्चरों की संख्या 800 से अधिक हो जाती है, तो उन्हें यमुनोत्री से वापस आने के अनुपात में ही जानकीचट्टी से भेजा जाएगा। इस संबंध में मंदिर समिति से स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे ताकि दर्शन आदि के लिए यात्रियों को 60 मिनट का समय मिले।
डण्डियों के लिए दिशा-निर्देश
जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक डण्डियों की संख्या अधिकतम 300 निर्धारित की गई है। इनका आवागमन प्रातः 4 बजे से साँय 4 बजे तक होगा और हर डण्डी के लिए यात्रा का कुल समय 6 घंटे निर्धारित किया गया है। डण्डियों को 50 के लॉट में छोड़ा जाएगा और एक लॉट के छोड़े जाने के बाद दूसरे लॉट को 1 घंटे के अंतराल में छोड़ा जाएगा। डण्डियों का संचालन बिरला धर्मशाला से ही किया जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण निर्देश
जिला मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार, यमुनोत्री धाम में घोड़ा-खच्चरों और डण्डियों का संचालन केवल प्रीपेड काउंटर से ही किया जाएगा। घोड़ा-खच्चर और डण्डी संचालकों को 60 मिनट का इंतजार करने के बाद जिला पंचायत के कर्मी से अनुमति प्राप्त कर यात्री के बिना वापस लौटने की अनुमति दी गई है।
आदेश के अनुसार, यमुनोत्री धाम में घोड़ा पड़ाव से आगे किसी भी दशा में घोड़े-खच्चरों और डण्डियों के जाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डनीय कार्यवाही की जाएगी।
जिला मजिस्ट्रेट ने संबंधित विभागों और अधिकारियों को आदेशों के तत्काल अनुपालन के निर्देश दिए हैं, जिससे कि यात्रियों का आवागमन सुगम, सुरक्षित और शान्तिपूर्वक ढंग से संपादित हो सके।