महामहिम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य द्वारा वीर चन्द्र सिंह गढवाली उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के प्रथम दीक्षान्त समारोह में विश्वाविद्यालय के विद्यार्थियों को उपाधि(डिग्री) प्रदान की गयी।
इस अवसर पर महामहिम मौर्य ने वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली जिनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है को नमन करते हुए अपने सम्बोधन में छात्र-छात्राओं से कहा कि वे पर्यावरण का संरक्षण करें। प्रत्येक छात्र पांच-पांच पेड़ लगाकर उन्हंे छोटा भाई मानकर उनकी देखरेख भी करें। महामहिम ने कहा कि नये-नये अनुसंधान करके देश में कैसे खुशहाली ला सकते है, किसानों की आय दोगुनी कैसे कर सकते हंै, प्रदेश से पलायन को कैसे रोक सकतें है आज इस पर विचार करने की बहुत आवश्यकता है। उन्होने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस विश्वविद्यालय के छात्र अपने कार्यों से विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे। उन्होने कहा कि औद्यानिकी, वानिकी एवं पर्वतीय कृषि के क्षेत्र में सक्षम मानव संसाधन प्रदान करना एवं लाभकारी शोध एवं अनुसंधान करना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ उद्यानों, वनों और कृषि प्रबन्धन के कार्यो में भी बड़ी चुनौती है। इसका सीधा असर हमारे किसानों पर पड़ा है। गांव और किसान हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख अंग हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इस कार्य में आज उपाधि पाने वाले छात्र बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। कृषि और बागवानी उत्तराखण्ड के आर्थिक विकास के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। यहां प्रचुर जैव विविधता भी है। बड़ी संख्या में वनस्पतियां एवं जड़ी-बूटियां पायी जाती हैं। यहां बेमौसमी सब्जियां एवं कई प्रकार के फलों के उत्पादन की अपार सम्भावनाएं है। महामहिम मौर्य ने कहा कि उत्तराखण्ड के भू-भागों में बारह अनाज खेती बहुत प्रचलित रही है। इसमें मंडुआ, कुट्टू, रामदाना, चैलाई और जौ कई प्रकार की दालों की खेती की जाती है जो बहुत ही पौष्टिक है। इसको कैसे बढावा मिले यह सोचने की आवश्यकता है। भारत के नीति आयोग ने भी कहा है कि देश में जीरो बजट नेचुरल खेती को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है। जीरो बजट नेचुरल खेती में रासायनिक खादों एवं रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता है। जीरो बजट नेचुरल खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ाना बहुत आवश्यक है। प्रदेश से पलायन रोकने के लिए जीरो बजट नेचुरल खेती पर शोध करने की आवश्यकता है एवं कार्य करने की भी आवश्यकता है। मुझे विश्वास है भरसार विश्वविद्यालय इस कार्य को कर सकता है।