देहरादून I प्रदेश ने ग्रीन बोनस का पुख्ता आधार तैयार कर लिया है। यह भी साफ है कि प्रदेश विकास कर रहा है लेकिन नए रोजगार की खासी गंभीर चुनौती से उसे जूझना पड़ रहा है। पहाड़ और मैदान के बीच आर्थिक विषमता की खाई भी नहीं पट पाई है। शनिवार को जारी की गई ग्रीन अकाउंटिंग, मानव विकास और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्टो से यह बात उभर कर सामने आई है।
ग्रीन अकाउंटिंग रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि प्रदेश के वनों का कुल मूल्य 14 लाख करोड़ से लेकर 17 लाख करोड़ रुपये हैं। इसमें लकड़ी, कार्बन स्टॉक और वन क्षेत्र की भूमि का मूल्य ही शामिल किया गया है। रिपोर्ट को तैयार करने वाली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फारेस्ट मैनेजमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर मधु वर्मा ने कहा कि जैविक विविधता, बुग्याल आदि को शामिल करने पर यह मूल्य और भी अधिक होगा। वनों की ओर से प्रति वर्ष 95112.60 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय सेवा हर वर्ष दी जा रही है। यह ग्रीन बोनस की मांग का पुख्ता आधार है। पर्यावरणीय सेवा के लिए 21 इको सिस्टम सेवाओं को आधार बनाया गया है।
मानव विकास सूचकांक के तहत प्रदेश के नियोजन विभाग ने जेंडर डेवलपमेंट रिपोर्ट और मल्टीपल पॉवर्टी इंडेक्स रिपोर्ट भी जारी की। इन दोनों अध्ययनों से जाहिर हुआ कि प्रदेश ने सकल घरेलू उत्पाद सहित अन्य मानकों के आधार पर खासी प्रगति की है लेकिन राज्य के लिए रोजगार एक गंभीर चुनौती है। इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट के सहयोग से तैयार की गई प्रदेश की पहली मानक विकास रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी दर 2004-05 (2.1 प्रतिशत) की तुलना में 2017 में दोगुनी (4.2 प्रतिशत) हो गई है। 15 से 29 साल के युवाओं के बीच बेरोजगारी दर भी इस अवधि में छह प्रतिशत से बढ़कर 13.2 प्रतिशत हो गई है। आर्थिक विकास से नए रोजगारों का सृजन नहीं हो पा रहा है।
लैंगिक विषमता को लेकर जारी हुई जेंडर डेवलपमेंट रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाएं मैदानी जिलों की महिलाओं की तुलना में अधिक सशक्त और कम विषमता का सामना कर रही हैं। उत्तरकाशी का अधिकतम जीडीआई मूल्य(0.892) है और हरिद्वार (0.561) सबसे कम। मानव विकास सूचकांक देहरादून के लिए सबसे अधिक है और टिहरी गढ़वाल के लिए सबसे कम पाया गया।
गरीबी के मामले में मल्टीपल पावर्टी इंडेक्स से उत्तराखंड के लिए मिश्रित तस्वीर उभर कर सामने आई है। यह पाया गया कि 2005-06 की तुलना में 2018 तक प्रदेश में गरीबों की संख्या 35.83 लाख से घट कर 18.65 लाख हो गई है। हरिद्वार में सबसे अधिक गरीब हैं और रुद्रप्रयाग में सबसे कम। जीवन की प्रत्याशा सबसे अधिक पिथौरागढ़ -72.1 पाई गई।
आर्थिक समीक्षा से जाहिर हुआ कि प्रदेश में जीएसटी के कारण राजस्व प्रभावित हुआ है और वन सहित अन्य क्षेत्रों से प्रदेश को आय बढ़ानी होगी।
अब राज्य ग्रीन बोनस की मांग को ठोस आधार के साथ केंद्र के समक्ष उठा सकेगा। मानव विकास और आर्थिक सर्वे के आधार पर सामने आई कमियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। पर्वतीय जिलों के विकास पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। जिलाधिकारियों को कहा गया है कि विकासखंड के स्तर पर विकास की योजनाओं को बनाएं। पिछले दो सालों में प्रति व्यक्ति आय में 30 हजार रुपये का इजाफा हुआ है। रोजगार सृजन की कोशिश की जा रही है। इवेस्टमेंट समिट में 40 हजार करोड़ का निवेश केवल पर्वतीय जिलों के लिए हुआ है।
-मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत