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मसूरी में दुर्लभ प्रजाति का किंग कोबरा मिलने से लोगों में हड़कंप

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👉वन विभाग मसूरी ने सांप को पकड कर जंगल में छोडा
मसूरी देहरादून मार्ग पर कोल्हूखेत के निकट एक विशालकाय किंग कोबरा मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों ने सांप होने की सूचना वन विभाग को दी। मौके पर पहुंचे वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद एक रेस्टोरेंट के टॉयलेट से किंग कोबरा को पकडा और दूर जंगल में छोड़ दिया इससे क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली। डीएफओ मसूरी आशुतोष सिंह ने बताया कि यह एक दुर्लभ प्रजाति का किंग कोबरा है और इस समय प्रजनन का समय है और ऐसे में किंग कोबरा के साथ ही मादा भी हो सकती है और इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है वह किंग कोबरा को पकड़ कर जगल में छोड दिया गया है। उन्होने बताया कि एक शोध में कहा गया है कि किंग कोबरा का घोंसला – यह दुनिया का एकमात्र सर्प है जो अंडे देने के लिए घोंसला बनाता है – उत्तराखंड में पहली बार साल 2006 में नैनीताल जिले की भवाली फॉरेस्ट रेंज में दिखा. फिर साल 2012 में मुक्तेश्वर में 2303 मीटर की ऊंचाई में इसका घोंसला मिला. इतनी ऊंचाई पर किंग कोबरा का होना दुनिया भर में एक रिकॉर्ड है। उन्होने बताया कि  भोजन श्रृंखला में किंग कोबरा एपेक्स प्रीडेटर यानी सबसे ऊपर है. प्रकृति में जहां अन्य सांप चूहों को खाकर उनकी संख्या नियंत्रित करते हैं, वहीं किंग कोबरा का भोजन सिर्फ सांप हैं. यानी वह प्रकृति में सांपों की संख्या को नियंत्रित करता है. विरले मौकों पर ही किंग कोबरा सांप के अलावा छिपकली या गिरगिट जैसे अन्य जीवों को खाता है. इस तरह से यह धरती पर सांपों की संख्या नियंत्रित करने में एक रोल अदा करता है। डीएफओ ने बताया कि  किंग कोबरा भारत में वन्यजीव कानून के तहत संरक्षित प्राणियों में है और इसकी कई खासियत हैं, जो इसे विश्व भर के बाकी सर्पों से अलग करती हैं. आकार के हिसाब से यह दुनिया का सबसे बड़ा विषैला सांप है, जिसकी लंबाई 18 फुट तक हो सकती है. यह दुनिया में सांपों की अकेली प्रजाति है जिसमें मादा अंडे देने से पहले अपना घोंसला बनाती है।अंडों से बच्चे निकलने में 80 से 100 दिन लगते हैं और तब तक मादा किंग कोबरा अपने अंडों की तत्परता से रक्षा होती है. जानकार कहते हैं कि इस दौरान वह तकरीबन 2 महीने तक भूखी ही रहती है. यह दिलचस्प है कि अंडों से बच्चे निकलने से ठीक पहले मादा किंग कोबरा हमेशा वह जगह छोड़कर चली जाती है।किंग कोबरा एक बेहद शांतिप्रिय या जानकारों की भाषा में नॉन-काम्बैटिव (आक्रमण न करने वाला) सांप है. भारत में सांपों की कई जहरीली प्रजातियां हैं लेकिन चार ही सांप हैं, जिनके काटने से अधिकांश मौतें होती हैं. ये हैं रसेल्स वाइपर, सॉ स्केल वाइपर, क्रेट और इंडियन कोबरा. इन चारों को बिग-फोर” कहा जाता है. अपने शांतिप्रिय स्वभाव के कारण ही बहुत विषैला होने के बावजूद  किंग कोबरा बिग-फोर” में नहीं गिना जाता है। उत्तराखंड वन विभाग की यह रिपोर्ट किंग कोबरा के स्वभाव का प्रमाण है. इसके मुताबिक राज्य में अब तक किंग कोबरा के काटने की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई 

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