मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल की दूसरी शाम रही पद्मश्री प्रीतम भरतवाण के नाम, जमकर झूमे श्रोता
मसूरी विंटर लाइन कार्निवल की दूसरी शाम पद्मश्री प्रीतम भरतवाण के नाम रही। जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण के जागर व गीतों ने ऐसा समां बांध कि युवा खुद को रोक नहीं सके और नाचने पर मजबूर हो गए। देर रात तक चली सांस्कृतिक संध्या का दर्शकों ने जमकर लुत्फ उठाया। इस मौके पर मसूरी ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के द्वारा पदमश्री प्रीतम भरतवाण को शॉल भेंट कर सम्मानित किया गया। मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के तहत मसूरी के टाउन हाल में आयोजित दूसरे दिर के संध्या के कार्यक्रम की शुरुआत प्रीतम भरतवाण ने गंगा जागर शिव गंगा नह्यौला देवतों से की। गजमाला, राजुली, मोरी रख्या खोली, छुमा छलैया, सुदंरा छोरी स्यौ पक्या तुम्हारा व सरूली मेरू जिया जगीगे गीतों पर लोग थिरकने को मजबूर हुए। वहीं, उनका नया गीत सरजी कोट ढिलू ह्वैगी व बिदुली रात रैगी जरासी पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। वहीं दूसरी तरफ उनके जागर देवी जोत माया, द्रोपती स्वयंवर, पंडवार्त ने कार्यक्रम में समा बांध दिया। जैसे ही भरतवाण ने अपने अंदाज में जागर शुरू किया लोग झूमने लगे। इस दौरान मसूरी भाजपा मडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल और एसडीएम मसूरी शैलेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि लोक संस्कृति और रीति रिवाज ही देव भूमि की असल पहचान है, उनके संरक्षण और संवर्धन में ऐसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि कहीं भी रहें, अपने राज्य की एक वेशभूषा जरूर पहनें। उन्होंने जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण और गायिका सीमा पंगरियाल के द्वारा दी गई प्रस्तुति को भी सहराया। देर शाम तक चलते कार्यक्रम का लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। कार्यक्रम का संचालन अनिल गोदियाल ने किया। सांस्कृतिक टीम में
पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रीतम भरतवाण ने कहा कि मसूरी विंटर लाइन कार्निवल से स्थानीय कलाकारों को अपने हुनर दिखाने का मौका मिलता है वही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को अपने प्रदेश की संस्कृति से भी रूबरू कराया जाता है उन्होंने विंटर लाइन कार्निवल के आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अपने प्रदेश की संस्कृति के साथ प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा कार्निवाल का आयोजन करता है जिससे निश्चित तौर पर स्थानीय और आसपास के क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलता है। प्रीतम भरतवाण ने कहा कि मसूरी विश्व विख्यात पर्यटन स्थल है और मसूरी पूर्व में से ही षरदोत्सव के लिये जानी जाती है। उन्होंने कहा कि नवयुवक अपनी पुरानी संस्कृति और जड़ों की ओर लौट रहे हैं जिसको देखकर सुखद अनुभूति होती है उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल पहले हमारे पूर्वजों ने जो पराम्परिक वाध्यंत्रो की षुरूआत की गई थी जिसको देश-विदेश तक ले जाने का काम उनके और अन्य कालाकारों के द्वारा किया गया है देश और प्रदेष की सरकार लगातार लोक संस्कृति और वाद्य यंत्रों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है परंतु इस दिषा में और तेजी से काम करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि अपनी प्रदेश की विभिन्न भाषाओं को भी प्रचारित करने के सरकार को काम करना चाहिए।