देहरादून I उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग पलायन कर रहे हैं। अल्मोड़ा जनपद में वर्ष 2001 से 2011 तक दस सालों में करीब 70 हजार लोग पैतृक गांव से पलायन कर गए। 646 पंचायतों से 16207 लोगों ने स्थायी रूप से गांव छोड़ दिया है। इसका खुलासा पलायन आयोग की रिपोर्ट में हुआ है।
सोमवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सीएम आवास पर पलायन आयोग की दूसरी बैठक आयोजित की गई। इसमें मुख्यमंत्री ने अल्मोड़ा जनपद की पलायन रिपोर्ट का विमोचन किया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले दस सालों में सल्ट, भिकियासैंण, चौखुटिया, स्याल्दे विकासखंड से सबसे ज्यादा लोगों ने पलायन किया है। इन ब्लाकों के कई गांवों में सड़क, पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य और आजीविका के साधन नहीं है, जिससे लोग जनपद मुख्यालय और प्रदेश के अन्य शहरी क्षेत्रों में जाकर बस गए हैं।
वर्ष 2001 से 2011 तक जनपद के 1022 ग्राम पंचायतों में 53611 लोगों ने पूर्ण रूप से पलायन नहीं किया है। ये लोग समय-समय पर अपने पैतृक गांव आते हैं। जबकि 646 पंचायतों में 16207 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया है। अब इन लोगों के दोबारा वापस गांव लौटने की संभावनाएं नहीं हैं। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया कि जनपद की 11 विकासखंडों से 7.13 प्रतिशत लोगों ने गांव के नजदीकी शहरी क्षेत्रों में पलायन किया है।
जबकि 13 प्रतिशत ने जनपद मुख्यालय, 32.37 प्रतिशत ने प्रदेश के अन्य जनपदों में, 47.08 प्रतिशत लोग राज्य से बाहर पलायन कर चुके हैं। देश से बाहर पलायन करने वाले की संख्या 0.43 प्रतिशत है। 2011 के बाद जनपद के 80 गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में 50 प्रतिशत आबादी कम हुई है। वहीं, 63 गांवों में सड़क, 11 गांवों में बिजली, 34 गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में पेयजल और 71 गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा न होने से 50 प्रतिशत आबादी घटी है।
जबकि 13 प्रतिशत ने जनपद मुख्यालय, 32.37 प्रतिशत ने प्रदेश के अन्य जनपदों में, 47.08 प्रतिशत लोग राज्य से बाहर पलायन कर चुके हैं। देश से बाहर पलायन करने वाले की संख्या 0.43 प्रतिशत है। 2011 के बाद जनपद के 80 गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में 50 प्रतिशत आबादी कम हुई है। वहीं, 63 गांवों में सड़क, 11 गांवों में बिजली, 34 गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में पेयजल और 71 गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा न होने से 50 प्रतिशत आबादी घटी है।
एक नजर में…
– 2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की 6 लाख 22 हजार 506 आबादी
– 89 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है।
– 3189 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है अल्मोड़ा जनपद
– जनपद में रहने वाले परिवारों की संख्या एक लाख 40 हजार 577
– दस वर्षों में शहरी क्षेत्रों की आबादी में 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
विकासखंड वार गांवों से हुए पलायन की स्थिति प्रतिशत में
विकासखंड नजदीकी नगर जनपद मुख्यालय अन्य जनपद राज्य से बाहर देश से बाहर
भैंसियाछीना 1.80 13.37 38.96 45.85 0.01
भिकियासैंण 5.38 9.98 23.67 60.65 0.33
चौखुटिया 8.71 7.16 30.90 53.03 0.20
धौलादेवी 4.02 15.66 44.23 36.09 —
द्वाराघाट 13.52 11.29 31.37 42.52 1.29
हवालबाग 6.25 12.50 35.00 46.25 —
लमगड़ा 13.94 25.91 40.23 19.52 0.40
सल्ट 10.38 11.69 27.46 50.15 0.31
स्याल्दे 1.53 9.76 29.04 59.61 0.07
ताकुला 2.31 15.04 29.80 52.67 0.18
ताड़ीखेत 8.60 9.97 32.65 47.76 1.01
भैंसियाछीना 1.80 13.37 38.96 45.85 0.01
भिकियासैंण 5.38 9.98 23.67 60.65 0.33
चौखुटिया 8.71 7.16 30.90 53.03 0.20
धौलादेवी 4.02 15.66 44.23 36.09 —
द्वाराघाट 13.52 11.29 31.37 42.52 1.29
हवालबाग 6.25 12.50 35.00 46.25 —
लमगड़ा 13.94 25.91 40.23 19.52 0.40
सल्ट 10.38 11.69 27.46 50.15 0.31
स्याल्दे 1.53 9.76 29.04 59.61 0.07
ताकुला 2.31 15.04 29.80 52.67 0.18
ताड़ीखेत 8.60 9.97 32.65 47.76 1.01
पलायन रोकने के सुझावों को धरातल पर उतारें : सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक में कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए आयोग की ओर से दिए गए सुझावों को धरातल पर उतारें। आयोग की तरफ से काफी सुझाव सरकार को दिए जा चुके हैं। अब इन सुझावों के क्रियान्वयन पर फोकस होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के दूरदराज गांवों में लोग स्वरोजगार व अन्य क्षेत्रों में अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों की सफलता पर डाक्यूमेंट्री बनाई जाए। ताकि दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिल सके। सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किस तरह से पलायन को कम किया जा सकता है। इसके लिए विभागवार कार्य योजना बना कर सुझावों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आयोग को कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। यह कमेटी विभागों के कार्यों की समीक्षा करेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस साल अक्तूबर-नवंबर माह में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। बैठक में प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनीषा पंवार, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी आदि मौजूद रहे।
प्रदेश में पलायन को कम करने के लिए आयोग अब तक सरकार को चार रिपोर्ट सौंप चुका है। पिछले साल आयोग ने पौड़ी जिले की पलायन रिपोर्ट जारी की थी। अब अल्मोड़ा की रिपोर्ट जारी की है। इस साल पिथौरागढ़ और टिहरी जिले के पलायन की स्थिति पर आयोग काम करेगा। कृषि, बागवानी, पशुपालन, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों के माध्यम से गांवों में आजीविका के साधन व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा कर पलायन को रोकने की दिशा में काम किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के दूरदराज गांवों में लोग स्वरोजगार व अन्य क्षेत्रों में अच्छा काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों की सफलता पर डाक्यूमेंट्री बनाई जाए। ताकि दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिल सके। सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किस तरह से पलायन को कम किया जा सकता है। इसके लिए विभागवार कार्य योजना बना कर सुझावों पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने आयोग को कमेटी गठित करने के निर्देश दिए। यह कमेटी विभागों के कार्यों की समीक्षा करेगी। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस साल अक्तूबर-नवंबर माह में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। बैठक में प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनीषा पंवार, पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी आदि मौजूद रहे।
प्रदेश में पलायन को कम करने के लिए आयोग अब तक सरकार को चार रिपोर्ट सौंप चुका है। पिछले साल आयोग ने पौड़ी जिले की पलायन रिपोर्ट जारी की थी। अब अल्मोड़ा की रिपोर्ट जारी की है। इस साल पिथौरागढ़ और टिहरी जिले के पलायन की स्थिति पर आयोग काम करेगा। कृषि, बागवानी, पशुपालन, ग्राम्य विकास समेत अन्य विभागों के माध्यम से गांवों में आजीविका के साधन व अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा कर पलायन को रोकने की दिशा में काम किया जाएगा।
– डॉ. एसएस नेगी, उपाध्यक्ष, पलायन आयोग