नई दिल्ली. दिल्ली में साल 2012 में हुए बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप केस में 4 दोषियों के लिए फांसी की सज़ा का ऐलान आज हो सकता है. पटियाला हाउस कोर्ट निर्भया के चारों दोषियों के लिए आज सज़ा की तारीख मुकर्रर कर सकता है. इसके पहले कोर्ट ने दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई को 7 जनवरी तक टाल दिया था. इससे पहले निर्भया गैंगरेप मामले में फांसी की सजा पाने वाले चार दोषियों में से एक के पिता की फांसी को टालने की कोशिश भी सोमवार को बेकार हो गई. पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के एकमात्र चश्मदीद गवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी है.
दरअसल, निर्भया के दोषी पवन गुप्ता ने पटियाला हाउस कोर्ट में केस के इकलौते गवाह अवनींद्र पांडे के खिलाफ याचिका दायर की थी. याचिका में दोषी पवन ने निर्भया के दोस्त पर आरोप लगाया कि उसने पैसे लेकर गवाही दी. इसलिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि दोषी पवन कुमार गुप्ता की ये याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में पहले ही खारिज हो चुकी थी.
आगे क्या होगा?
अभियोजन पक्ष के वकील राजीव मोहन का कहना है कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने और क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर नहीं होने के बावजूद कोर्ट में डेथ वारंट जारी हो सकता है. यह अलग बात है कि डेथ वारंट पर सुप्रीम कोर्ट क्यूरेटिव पिटीशन के आधार पर रोक लगा सकता है, लेकिन इससे फांसी की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी.
क्या कहते हैं निर्भया के माता-पिता
वहीं, निर्भया के माता-पिता का कहना है कि निर्भया के साथ हुई दरिंदगी को 7 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन दोषियों को अब तक फांसी नहीं लगी है और न ही हमें इंसाफ मिला है. ऐसे में निर्भया के माता-पिता को भी पूरी उम्मीद है कि 7 जनवरी को सुनवाई के दौरान माननीय कोर्ट चारों दोषियों की फांसी के लिए डेथ वारंट जारी कर देगा.
क्या है मामला?
ये मामला 16 दिसंबर 2012 की रात का है. चलती बस में एक 23 साल की पैरामेडिकल स्टूडेंट के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया. फिर सभी ने मिलकर उसके साथ हैवानियत की हद पार की. बाद में पैरामेडिकल स्टूडेंट को मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया. इलाज के दौरान कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई थी. इस अपराध के लिए पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को मौत की सजा सुनाई गई. वहीं, मुख्य आरोपी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग 3 साल बाल सुधार गृह में रहने के बाद छूट चुका है.