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धनौल्टी का सरकारी आलू फार्म और एप्पल गार्डन हुआ बर्बाद

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राज्य बनने के बाद नही ली किसी सरकार ने सुध। 

थत्यूड़। उत्तराखंड में पहाड़ी आलू के उत्पादन के लिये कभी प्रसिद्ध पर्यटन नगरी धनौल्टी का नाम पहले  लिया जाता था। जहां पहाड़ी आलू की की मांग छोटे और बड़े शहरों में व्यापक स्तर पर होती थी ।आलू के  उत्पादन में सरकारी फॉर्म धनौल्टी का प्रमुख योगदान था ।
लेकिन कुछ समय से धनौल्टी का आलू बाजार में दिखता ही नही  है और ना ही इसका उत्पादन सरकारी फॉर्म में हो रहा है । कुछ समय पहले पूर्व डीएम मंगेश घिल्डियाल ने यहाँ पर कुछ सेब के पेड़ लगाएं मगर मात्र नाम के उद्यान विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है उद्यान के साथ बागवानी से भी जुड़ा था
धनौल्टी के सरकारी  आलू फार्म में आलू होता था और साथ में  जौनपुर ब्लॉक और थौलधार के दर्जनों गांव के साथ यहां से दूसरे राज्य के लिए आलू भेजे जाते थे और आस पास गांव में जाता था और लोगों को भी रोजगार मिलता था ।
उत्तराखंड सरकार और उद्यान विभाग की उदासीनता के कारण अब यह फार्म बंजर पड़ा है ।आलू फॉर्म 800 एकड़ जमीन और बंटवाधार एप्पल गार्डन की जमीन 51 एकड़ बगीचा हुआ करता था ।
अब ऐसी स्थिति है कि जो पर्यटक वहां पर जाते हैं मायूस होकर लौटते हैं। लोग बेरोजगार हो गए हैं उत्तराखंड राज्य बनने से पहले यही बगीचा उत्तर प्रदेश के समय अच्छा खासा आलू हुआ करता था परंतु अब जब से उत्तराखंड अलग राज्य हुआ तब से दोनों फॉर्म बंजर हो गए हैं ।
अब जब पर्यटक बटवालधार एप्पल गार्डन को देखने जाते हैं तो उसे बंजर और देखकर मायूस होकर लौटना पड़ता है।
सेब खुमानी पुलम अखरोट के 2,000 से अधिक पेड़ अब सूख गए हैं जो कर्मचारियों के लिए भवन थे वह आज खंडहर में तब्दील हो गए हैं। 
ग्रामीण का कहना है बगीचे में झाड़ियों से जंगली जानवरों का अड्डा हो गया है जंगली सूअर ने उत्पात मचाया हुआ है। ब्लाक प्रमुख सीता रावत जिला पंचायत सदस्य सनवीर बेलवाल क्षेत्र पंचायत प्रताप गोठ प्रधान लाखीराम चमोली किसान यूनियन अध्यक्ष विजय राणा, रघुवीर रमोला, प्रधान धनौल्टी नीरज प्रधान खनेरी सजपाल बेलवाल पूर्व क्षेत्र पंचायत तपेंद्र बेलवाल यशपाल बेलवाल कुलदीप नेगी देवेंद्र बेलवाल इको सचिव मनोज  उनियाल कुलदीप नेगी सुरेश कुमार सुरेश बेलवाल राकेश बेलवाल मनजीत राणा सूरज सिंह राणा वीरेंद्र दत्त उनियाल ने कहा  है कि अगर सरकार और विभाग बगीचे और आलू फार्म पर ध्यान नहीं देता है तो एक आंदोलन किया जाएगा जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। 

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