हरेला पर्व पर जौनपुर रेंज में प्रकृति से प्रेम का संदेश, 600 पौधे रोपे गए
कांडा, भाल और अलमस क्षेत्रों में ग्रामीणों की भागीदारी से हुआ सफल आयोजन

थत्यूड़ (टिहरी)। हरियाली और पर्यावरण संरक्षण को समर्पित उत्तराखंड का पारंपरिक त्योहार हरेला पर्व इस बार भी मसूरी वन प्रभाग की जौनपुर रेंज में उत्साह, श्रद्धा और संकल्प के साथ मनाया गया। क्षेत्र के विभिन्न वन बीटों में आयोजित तीन प्रमुख कार्यक्रमों के दौरान स्थानीय ग्रामीणों और वन विभाग के संयुक्त प्रयास से कुल 600 पौधों का रोपण किया गया।
कांडा जाख बीट में ग्रामवासियों के साथ हुआ हरेला का आगाज़
कांडा-3 के खेमुड़ा तोक (हरेला वन) में कफूलटा, अग्यारना और लगडासू ग्रामवासियों ने मिलकर हरेला महोत्सव मनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ वन पंचायत सरपंच कफूलटा देवेंद्र असवाल द्वारा पौधरोपण कर किया गया।
इस अवसर पर बांज, चुल्लू, अखरोट जैसी स्थानीय प्रजातियों के 200 पौधे रोपे गए और उन्हें सुरक्षित रखने का संकल्प लिया गया।
भाल बीट के मोरियाना तोक में ग्रामीणों ने निभाई प्रकृति की जिम्मेदारी
भाल-1 के अंतर्गत मोरियाना नामे तोक (हरेला वन) में वन पंचायत सरपंच मराड़ सोबत सिंह मेहर की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने 200 पौधे लगाए।
बांज, देवदार और सेमला जैसे महत्वपूर्ण वृक्षों का चयन किया गया जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से उपयोगी हैं, बल्कि जैव विविधता को भी बढ़ावा देते हैं।
अलमस की धरती पर हुआ वृहद हरेला आयोजन
बुरांशखंडा बीट के तहत अलमस-2 के खरका की धार नामे तोक (हरेला वन) में आयोजित कार्यक्रम में अलमस व बांसी गांव के ग्रामीणों ने भाग लिया।
वन पंचायत सरपंच कीर्तिमणि कोठियाल ने लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “हरेला पर्व प्रकृति के प्रति हमारी आस्था और उत्तरदायित्व का प्रतीक है।
यहाँ बांज, अखरोट, सेमला, कचनार, रीठा सहित विभिन्न प्रजातियों के 200 पौधों का रोपण किया गया।
कार्यक्रम के दौरान वन विभाग के कर्मचारी गोविंद पंवार ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा हरेला हमें यह सिखाता है कि आज का एक पौधा कल का एक विशाल वृक्ष बन सकता है, जो जीवन, छाया, ऑक्सीजन और भविष्य की गारंटी होगा।
हरेला महोत्सव को सफल बनाने में वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी विजेंद्र कोकलियाल, रामलाल लेखवार, लोकेन्द्र रावत, गोविन्द, मंजीव, कुलवीर बेलवाल आदि की सराहनीय भूमिका रही।