थत्यूड़ में पौराणिक रामलीला का भव्य शुभारंभ: श्रवण कुमार की लीला, रावण तपस्या और कैलाश पर्वत प्रसंग का मनमोहक मंचन

रिपोर्ट: सुनील सजवाण, थत्यूड़
थत्यूड़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली रामलीला का शुभारंभ रविवार को श्रवण कुमार की मातृ-पितृ भक्ति की दिव्य लीला से हुआ। व्यापार मंडल थत्यूड़ के अध्यक्ष अकबीर पंवार ने दीप प्रज्वलित कर इस पौराणिक रामलीला का उद्घाटन किया, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रसंगों का मंचन किया जाएगा।
श्रवण कुमार की लीला
पहले दिन के मंचन में, श्रद्धालु दर्शकों ने श्रवण कुमार की भक्ति और त्याग को सजीव होते देखा। माता-पिता की सेवा में लीन श्रवण कुमार अंधे माता-पिता को तीर्थयात्रा पर ले जाते हैं। प्यास बुझाने के लिए जल की खोज में गए श्रवण कुमार को अयोध्या के राजा दशरथ की शब्दभेदी बाण से मृत्यु हो जाती है। जब दशरथ श्रवण कुमार के माता-पिता को यह दुखद समाचार देते हैं, तो उन्हें पुत्र वियोग का शाप मिलता है, जिसमें कहा जाता है कि दशरथ भी भविष्य में पुत्र वियोग में प्राण त्यागेंगे। इस लीला ने दर्शकों को भावुक कर दिया।
रावण की तपस्या और कैलाश पर्वत की लीला
दूसरे दृश्य में, रावण, कुंभकरण और विभीषण की ब्रह्मा की तपस्या दिखाई गई। भगवान ब्रह्मा उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर तीनों को वरदान प्रदान करते हैं। रावण अमरता का वरदान मांगता है, कुंभकरण को छः महीने सोने और छः महीने जागने का वरदान मिलता है, और विभीषण राम भक्ति का आशीर्वाद पाते हैं।
तीसरे दृश्य में नारद मुनि रावण को कैलाश पर्वत को लंका में लाने की सलाह देते हैं। गर्वित रावण कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करता है, लेकिन भगवान शिव उसकी अहंकार को नष्ट करते हैं। शिव-पार्वती संवाद और रावण के अभिमान के अंत ने इस दृश्य को विशेष रूप से प्रभावी बना दिया।
रावण की राज्यव्यवस्था और साधुओं का श्राप
अंतिम दृश्य में, रावण अपने दूतों को कर वसूली के लिए विभिन्न स्थानों पर भेजता है। जंगल में यज्ञ कर रहे साधुओं से कर के रूप में रक्त लेकर आने पर साधु श्राप देते हैं कि यह रक्त रावण के विनाश का कारण बनेगा। रावण इस रक्त को मिथिला पुरी में जमीन के अंदर गाड़ने का आदेश देता है।
उत्कृष्ट अभिनय और टीम का समर्पण
लीला मंचन में राजा दशरथ की भूमिका में राम प्रकाश भट्ट, श्रवण कुमार की भूमिका में मनोज भट्ट, सुमंत की भूमिका में दीपक सकलानी, नारद मुनि की भूमिका में मुनिम प्रधान और रावण की भूमिका में संदीप शाह ने शानदार अभिनय किया। कुंभकरण का किरदार गजेन्द्र असवाल ने निभाया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यापार मंडल अध्यक्ष अकबीर पंवार, अरविंद पंवार, गोविंद सिंह नेगी और अजय भास्कर समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। रामलीला समिति के अध्यक्ष गजेन्द्र असवाल, सचिव सुनील सजवाण, संगीतकार शांति प्रसाद चमोली, संदीप राणा और अन्य प्रमुख सदस्य भी मंचन को सफल बनाने में जुटे रहे।
डिजिटल प्रसारण से दूर-दराज के दर्शक जुड़े
इस वर्ष रामलीला का सीधा प्रसारण एस सजवाण प्रोडक्शन डिजिटल चैनल पर भी किया जा रहा है, जिसके माध्यम से उत्तराखंड के बाहर रह रहे हजारों दर्शक भी इस धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का आनंद उठा रहे हैं और मंचन की प्रशंसा कर रहे हैं।