Report-mukesh rawat
थत्यूड़। मैदानी क्षेत्रों में धीरे-धीरे गर्मी के बढ़ने के कारण भेड़ पालक व बकरी पालक पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करने लगे हैं। जिनका पैदल सफर 150 से 200 किलोमीटर का होता है। इन लोगों को कई स्थानों में जंगलों के बीच रात बितानी पड़ती है भेड़ पालको का यह एक बड़ा व्यवसाय है जिसमें भेड़ पालकों की एक दल में तकरीबन सात सौ से बारह सौ के लगभग भेड़ बकरियां होती है मौसम के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक ठंड के कारण मैदानी क्षेत्रों का रुख करते हैं तो वहीं मैदानी क्षेत्रों में गर्मी के बढ़ जाने के कारण फिर उन्हें पहाड़ों का रुख करना पड़ता है। यह भेड़ पालको का एक बड़ा व्यवसाय है जिससे भेड़ पालक कई अन्य लोगों को रोजगार देता है वही भेड़ पालन व्यवसाय के साथ साथ लोगों को रोजगार देने का भी साधन है भेड़ पालक देहरादून सहारनपुर छुटमलपुर जैसे स्थानों से जंगलों के रास्ते मसूरी होते हुए जौनपुर क्षेत्र के थत्यूड़ में पहुंचते हैं जिसके बाद यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल देवलसारी से घोड़ीयापा नागटीबा की ओर रुख करते हैं जहां पर गर्मियों के 3 से 4 महीने तक इन उच्च हिमालई क्षेत्रों में विचरण करते हैं।