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खाली कुर्सी अधिशासी अधिकारी का इंतजार कर रही है। ये हम नही ये खाली कुर्सी बोल रही है।

रिपोर्ट–/गिरीश चंदोला
स्थान—/थराली(चमोली)

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चुने हुये जनप्रतिनिधि सफैद हाथी साबित हो रहे है। 

थराली नगर पंचायत इन दिनों पार्षद के भरोसे चल रहा है। पार्षद हरीश पन्त का कहना है। नगर पंचायत में संविदा कर्मचारियों की हाजरी आजकल वही लगा रहे है। देखरेख की जिम्मेदारी उन्ही के कंधों में है।

नगर पंचायत थराली में न ही अधिशासी अधिकारी है।न ही कोई सरकारी कर्मचारी भगवान भरोसे चल रहा नगर पंचायत थराली,जब इस सम्बंध में अधिशासी अधिकारी विनोद कुमार से पूछा जाता है। वो अपने बीमारी का बहाना बनाते रहते है। ज्यादातर ही मेडिकल लेके छुट्टी चले जाते है। 

सवाल– ऑफिर जब नगर में जिम्मेदार अधिकारी ही नही तो आज जनता किसके पास अपनी समस्या लेके जाये

थराली विकास खण्ड थराली क्षेत्र में 2016 में नगर पंचायत का गठन होने के बाद आज तक थराली में सौचालय नही बन पाया है।
नवम्बर 2018 में थराली नगर पंचायत के चुनाव सम्पन्न हुये। आम जनता को उम्मीद थी। कि थराली नगर पंचायत बनने के बाद थराली का विकास होगा ।ठीक उसका उल्टा देखने को मिल रहा है। 8 माह बीत जाने के बावजूद भी थराली की सुध लेने को नगरपंचायत आज भी बेबस और लाचार साबित हो रहा है।

उत्तराखंड चार धाम यात्रा का आगाज शुरू हो गया है। यात्री चारधाम यात्रा करने के लिये उत्तराखण्ड आ रहे है।

कर्णप्रयाग– ग्वालदम  मोटर मार्ग पर लगातार यात्री चारो धामो के लिये निकल रहे है।

रास्ते मे सौचालय न होने के कारण यात्रियों को भी काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। खुले में शौच करने को मजबूर हो रहे है।

स्थानीय लोगों और व्यापारियों के साथ-साथ हर रोज आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने आने वाले ग्रामीणों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

जिससे कई प्रकार की बीमारियां जन्म लेती है। साथ ही नमामि गंगे परियोजना के तहत पिंडर नदी भी दूषित हो रही है।

जहां सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत करोड़ों रुपया खर्च कर रही है। परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

 नगर पंचायत थराली दर्जनों गांवों का मुख्य बाजार है।जिसकी जनसंख्या लगभग 25000 है।  चुने हुये जनप्रतिनिधियों ने जनता को  झूठा आश्वासन ही दिया

स्थानीय लोगो औऱ व्यापारियों का कहना है। चमोली जिला ओडीएफ घोषित होने के बावजूद भी आज तक एक सुलभ शौचालय नहीं  है। जिससे महिलाओं को सबसे  ज्यादा परेशानियों का सामना  करना पड़ता है।

स्थानीय लोगो ने जनप्रतिनिधियों और नगर पंचायत थराली को सुलभ शौचालय के बारे में लिखित पत्र देने के बावजूद आज तक सुलभ शौचालय नहीं बन पाया है।

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