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सरकारी कालोनियों में जैविक कूड़े की विकेंद्रित कम्पोस्टिंग की जाएगी, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने निर्देश दिए।

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देहरादून I सभी सरकारी कालोनियों में जैविक व अजैविक कूड़े का पृथक्कीकरण करते हुए जैविक कूड़े की विकेंद्रित कम्पोस्टिंग सुनिश्चित कराने के निर्देश।

सचिव, शहरी विकास नोडल अधिकारी होंगे।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी सरकारी कॉलोनियों में जैविक व अजैविक कूड़े का पृथक्कीकरण करते हुए जैविक कूड़े की विकेंद्रित कम्पोस्टिंग सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव द्वारा सभी प्रमुख सचिवों व सचिवों को प्रेषित पत्र में निर्देशित किया गया है कि शहरी विकास विभाग के सचिव इसके नोडल अधिकारी होंगे और सभी विभाग की गई कार्यवाही की सूचना प्रति माह नोडल अधिकारी को उपलब्ध कराएंगे।
कूड़े का स्त्रोत पर पृथक्कीकरण व गीले कूड़े (जैविक कूड़े) का विकेंद्रित प्रसंस्करण राज्य में स्थित सभी सरकारी कॉलोनियों में अभिनव प्रयोग के तौर पर शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इस कार्य को तत्काल प्रभाव से किया जाना है।  
नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 के अंतर्गत कूड़े का, जैविक व अजैविक कूड़ा के रूप में स्त्रोत पर पृथक्कीकरण किया जाना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त 5 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में अवस्थित सभी आवासीय कालोनियों, वाणिज्यिक संस्थानों, होटल व रेस्त्रां आदि के लिए अनिवार्य है कि कम्पोस्टिंग के माध्यम से जैविक कूड़े का प्रसंस्करण, उपचार व निस्तारण यथासम्भव अपने ही परिसर में ही करें।
वर्तमान में भारत सरकार द्वारा भी जैविक कूड़े के विकेंद्रित प्रसंस्करण पर बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने इस संबंध में एक एडवाईजरी भी जारी की है, जिसमें विकेंद्रित कम्पोस्टिंग की कम लागत की विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया गया है। प्रति दिन उत्पादित कूड़े में जैविक कूड़े की मात्रा में लगभग 50 प्रतिशत होती है। उत्तराखण्ड में जैविक कूड़े का विकेंद्रित प्रसंस्करण और भी अधिक महत्वपूर्ण है। इससे जहां भूमि की आवश्यकता में कमी आ सकेगी वहीं दूसरी ओर कूड़ा संग्रहण व परिवहन लागत में कमी सम्भव हो सकेगी।

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