देहरादून I प्रदेश सरकार अब पर्वतीय जिलों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 30 साल के लिए कृषि भूमि लीज पर देने का प्रावधान करने जा रही है। जमींदारी भूमि विकास अधिनियम में यह संशोधन संबंधित अध्यादेश जारी होते ही लागू हो जाएगा। इसका फायदा उन प्रवासियों को भी मिलेगा, जिनके स्वामित्व की कृषि भूमि पर्वतीय क्षेत्रों में है।
सौर ऊर्जा केंद्र के साथ ही प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में भी शामिल है। सौर ऊर्जा का संयंत्र (प्लांट) लगाने के लिए इस पर खासा अनुदान भी दिया जा रहा है। बावजूद इसके पर्वतीय क्षेत्रों में इस योजना को अपनाने वाले ज्यादा लोग नहीं मिल रहे हैं।
ऐसे में प्रदेश सरकार जमींदारी विनाश भूमि अधिनियम की धारा 156 में संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर रही है। इस धारा में कृषि एवं बागवानी कार्यों के लिए 30 साल के लिए भूमि को लीज पर दिए जाने का प्रावधान है।
अनुमन्य कार्यों की सूची में अब सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने को भी जोड़ा जा रहा है। यह संशोधन जमींदारी विनाश भूमि अधिनियम से संबंधित अध्यादेश का ही हिस्सा है। शासन के मुताबिक यह अध्यादेश राजभवन को भेजा चुका है।
एबसेंटी लैंडलॉर्ड उठा सकेंगे फायदा
इस संशोधन का फायदा ऐसे प्रवासी भी उठा सकते हैं, जिनके स्वामित्व की कृषि भूमि पहाड़ में मौजूद है और वे खुद अपने क्षेत्र में नहीं रह पा रहे हैं। ये लोग थर्ड पार्टी अनुबंध के आधार पर लीज पर भूमि देकर सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करा सकते हैं।
राजस्व विभाग के लिए यही लोग सबसे अधिक समस्या भी साबित हो रहे हैं। पहाड़ों में खाली पड़ी कृषि भूमि का उपयोग इनकी मौजूदगी की वजह से नहीं हो पा रहा है। इसी तरह पहाड़ों में रहने वाले लोग भी अपनी जमीन को लीज पर देकर सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
फायदे का सौदा
एक मेगावाट के सौर पावर प्लांट के लिए करीब 2.5 एकड़ भूमि की जरूरत होती है। एक मेगावाट के संयंत्र से करीब 80 लाख रुपये का प्रतिवर्ष मुनाफा करीब चार रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति पर लिया जा सकता है। सौर ऊर्जा के लिए लगाए गए पैनल के नीचे की भूमि का उपयोग भी किया जा सकता है।
अध्यादेश में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए संशोधन किया गया है। यह संशोधन लागू होने पर पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की मुहिम बढ़ने की संभावना है।
– सुशील कुमार, सचिव राजस्व
राजस्व विभाग के लिए यही लोग सबसे अधिक समस्या भी साबित हो रहे हैं। पहाड़ों में खाली पड़ी कृषि भूमि का उपयोग इनकी मौजूदगी की वजह से नहीं हो पा रहा है। इसी तरह पहाड़ों में रहने वाले लोग भी अपनी जमीन को लीज पर देकर सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना कर सकते हैं।
फायदे का सौदा
एक मेगावाट के सौर पावर प्लांट के लिए करीब 2.5 एकड़ भूमि की जरूरत होती है। एक मेगावाट के संयंत्र से करीब 80 लाख रुपये का प्रतिवर्ष मुनाफा करीब चार रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति पर लिया जा सकता है। सौर ऊर्जा के लिए लगाए गए पैनल के नीचे की भूमि का उपयोग भी किया जा सकता है।
अध्यादेश में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए संशोधन किया गया है। यह संशोधन लागू होने पर पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की मुहिम बढ़ने की संभावना है।
– सुशील कुमार, सचिव राजस्व