उत्तराखंड पंचायत चुनाव: पुरानी नियमावली से होंगे चुनाव, आज से शुरू होगी आरक्षण की प्रक्रिया
हाईकोर्ट में दिए गए शपथपत्र में सरकार ने चार महीने के भीतर पंचायत चुनाव कराने की बात कही है। नियमावली पर फैसला और आरक्षण की प्रक्रिया शुरू करने जैसे कदमों को पंचायत चुनाव के लिहाज से सरकार की गंभीर कवायद माना जा रहा है। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग के लिए भी जिलों को भेजे जाने वाले दिशा निर्देशों से संबंधित सामग्री तैयार करने में सहूलियत रहेगी। हालांकि चुनाव का कार्यक्रम तब ही प्रस्तावित किया जा सकेगा, जबकि त्रिस्तरीय पंचायतों का आरक्षण तय हो जाएगा।
इन स्थितियों के बीच, पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 में चुनाव कराने को लेकर कुछ संशोधन किए गए हैं। नए संशोधन के अनुसार, नियमावली बनाए जाने की व्यवस्था है, लेकिन इसमें लगने वाले समय को देखते हुए सरकार ने न्याय विभाग से परामर्श किया। सरकार यह जानना चाहती थी कि क्या एक्ट में संशोधन के बावजूद पुरानी नियमावली से चुनाव कराए जा सकते हैं। न्याय विभाग ने इसका परीक्षण करने के बाद अपनी सहमति दे दी है।
दो बच्चों वाले ही लड़ पाएंगे चुनाव, अधिसूचना जारी
त्रिस्तरीय पंचायतों की ये है स्थिति
13 जिला पंचायत हैं उत्तराखंड में
95 क्षेत्र पंचायत हैं उत्तराखंड में
7797 ग्राम पंचायतें हैं उत्तराखंड में
पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 की सोमवार को अधिसूचना जारी कर दी गई। इसके बाद अब पंचायत चुनाव में दो बच्चों वाले ही उम्मीदवारी कर पाएंगे। इसके अलावा, विभिन्न पदों के लिए शैक्षिक योग्यता भी तय कर दी गई है। जून 2019 में विधानसभा के सत्र के दौरान सरकार पंचायत राज संशोधन बिल 2019 लेकर आई थी। इसमें दो बच्चों की शर्त और शैक्षिक योग्यता तय करने की व्यवस्था ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी थी। विधानसभा ने संबंधित बिल को 24 जुलाई 19 को राजभवन भेज दिया था। इस पर 24 जुलाई को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की मंजूरी मिल गई थी।
यह है संशोधित एक्ट की खास बात
-कोई भी दावेदार दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव में भाग लेने के अयोग्य होगा, हालांकि ग्रेस पीरियड न होने की वजह से इसका विरोध हो रहा है।
-सामान्य महिला के अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति के उम्मीदवार का आठवीं पास होना जरूरी होगा, जबकि अन्य का दसवीं पास होना अनिवार्य होगा।
-उपप्रधान ग्राम पंचायत के सदस्यों से ही निर्वाचित होंगे, उन्हें हटाने के लिए भी वो ही प्रक्रिया लागू रहेगी, जो कि ग्राम प्रधानों के संबंध में निर्धारित की गई है।
-ग्राम प्रधान के पद को अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सकेगा। इससे पहले की व्यवस्था में बहुत कुछ साफ नहीं था।
पंचायत एक्ट की अधिसूचना में मेयर और चेयरमैन!
पंचायत राज संशोधन एक्ट 2019 के तहत अभी नई नियमावली नहीं बन पाई है। नई और पुरानी नियमावली के बीच यदि कोई संवैधानिक अड़चन जैसी बात शामिल नहीं हो, तो पुरानी नियमावली के आधार पर चुनाव कराए जा सकते हैं। इसी तरह का परामर्श न्याय विभाग से मिला है। इसके बाद, राज्य निर्वाचन आयोग को सूचित कर दिया गया है। मंगलवार से सभी पंचायतों में आरक्षण तय करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है।
-डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा, प्रभारी सचिव, पंचायती राज विभाग।