थत्यूड़ बाजार में आवारा पशुओं का आतंक! टैग लगी गायें भी सड़क पर घूम रहीं, प्रशासन बना मूकदर्शक
थत्यूड़ बाजार में खुलेआम घूमती टैग लगी गाय — सवाल उठता है, जब पहचान तय है तो जिम्मेदारी किसकी?

रिपोर्ट –मुकेश रावत
थत्यूड़। विकासखंड मुख्यालय थत्यूड़ का बाजार इन दिनों आवारा पशुओं का अड्डा बन चुका है। सड़क हो या दुकान, हर जगह गाय-बैल खुलेआम घूमते दिख जाते हैं। हालत ये है कि आए दिन वाहन चालक इन पशुओं से टकरा कर घायल हो रहे हैं, पर जिम्मेदार विभागों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
मुख्य बाजार से लेकर ढाणा बाजार, कॉलोनी बाजार और सुकटियाणा तक हर रोज़ इन आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। दिन में सड़क जाम, रात में दुकानों में घुसपैठ — यही इन पशुओं का नया ठिकाना बन गया है। दुकानदारों का कहना है कि ये गायें और बैल आए दिन दुकानों में घुसकर खाद्य सामग्री पर मुंह मार देती हैं, फल-सब्ज़ी बर्बाद कर जाती हैं और कई बार ग्राहकों को भी डराकर भगा देती हैं।
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि — जब इन गायों के कानों में सरकारी टैग लगे हैं, तो आखिर इनका मालिक कौन है?
अगर टैग सरकारी है तो क्या पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है? और अगर मालिक हैं, तो वो अपने पशु को सड़क पर क्यों छोड़ रहे हैं?
व्यापार मंडल अध्यक्ष अकवीर पंवार, महामंत्री विक्रम चौहान और रिटायर्ड कर्मचारी संघ अध्यक्ष खेमराज भट्ट, कुलवीर रावत ने खुलकर कहा —
“बाजार में आवारा पशुओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। कई बार शिकायत की, लेकिन प्रशासन के सिर्फ़ आश्वासन मिले, कार्रवाई नहीं!”
पशु चिकित्साधिकारी थत्यूड़ ने अपनी सफाई में कहा थत्यूड़ बाजार ग्रामीण क्षेत्र में आता है, यहां न तो नगर पालिका है और न ही गौशाला। टैग लगे पशुओं के मालिकों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, उप जिलाधिकारी धनोल्टी मंजू राजपूत ने कहा कि पशु चिकित्साधिकारी के माध्यम से टैग लगे पशुओं का चिन्हिकरण कराया जाएगा। उन्होंने सख्त चेतावनी दी कि यदि किसी ने अपने पशु बाजार क्षेत्र में छोड़े तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। साथ ही उन्होंने आम नागरिकों से अपील की कि वे अपने पशुओं को सड़कों पर न छोड़ें ताकि बाजार क्षेत्र में आवागमन बाधित न हो और स्वच्छता बनी रहे।
मीडिया के सवाल
- जब गाय के कान में सरकारी टैग लगा है तो फिर वह सड़कों पर क्यों भटक रही है?
- क्या पशुपालन विभाग के पास इस टैग का रिकॉर्ड मौजूद है? अगर हां, तो मालिक का नाम क्यों नहीं बताया जा रहा?
- क्या थत्यूड़ जैसे ग्रामीण बाजारों में अब प्रशासन की पकड़ खत्म हो चुकी है?
- कब बनेगा यहां गौशाला या गौसदन, ताकि ये पशु सड़क से हटें?
- क्या किसी हादसे के बाद ही प्रशासन नींद से जागेगा?



