देहरादून I उत्तराखंड में साढ़े बारह एकड़ से अधिक भूमि की खरीद पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश को राजभवन ने लौटा दिया है। अध्यादेश में भांग की खेती के लिए भूमि लीज पर दिए जाने के संबंधित प्रावधान पर राजभवन ने आपत्ति जताई। शासन ने आबकारी विभाग की मदद से आपत्ति का निस्तारण कर अब यह अध्यादेश वापस राजभवन को भेजा है।
प्रदेश में साढ़े बारह एकड़ से अधिक की जमीन खरीद पर सीलिंग एक्ट के तहत प्रतिबंध है। इस प्रतिबंध की व्यवस्था जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 के अनुच्छेद 154 में की गई है। सरकार मुख्य रूप से इसी प्रतिबंध को हटाने के लिए अध्यादेश लेकर आई। शासन के सूत्रों के मुताबिक जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम के अनुच्छेद 156 में भी संशोधन का प्रस्ताव अध्यादेश के जरिए लाया जा रहा है।
अनुच्छेद 156 में कृषि भूमि को बेमौसमी सब्जियों, जड़ी बूटी उत्पादन आदि के लिए अधिकतम 30 साल के लिए लीज पर देने का भी प्रावधान है। सरकार ने भांग की खेती सहित अन्य उपयोगों के लिए भूमि लीज पर दिए जाने के प्रावधान को इसमें संशोधन के जरिये जोड़ा।
भांग का इस समय औद्योगिक उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस औद्योगिक भांग का चीन इस समय सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बाकायदा पंत नगर विश्वविद्यालय को व्यवसायिक भांग के बीज को विकसित करने को भी कहा था। यह पाया गया था कि प्रदेश में सामान्य रूप से हो रही भांग में नशे की मात्रा अधिक है और यह व्यवसायिक उपयोग के लिए सही नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक राजभवन ने इसी पर आपत्ति जताते हुए अध्यादेश वापस लौटा दिया और भांग के लिए खेती को लीज पर दिए जाने पर लाइसेंस और अन्य कानूनों की बाध्यता को स्पष्ट करने के लिए कहा। अध्यादेश वापस लौटने पर हरकत में आए राजस्व विभाग ने आनन फानन में आबकारी विभाग की मदद ली। यह कहा गया कि इस तरह की खेती पर आबकारी विभाग की मदद से नियमन किया जाएगा। शासन ने आपत्तियों का निस्तारण कर अब अध्यादेश राजभवन को दोबारा भेजा है।